जन्म शताब्दी महोत्सव पर हार्दिक बधाई।
प्रिया प्रियतम के प्रेमरस रसिक प्रिय गुरुवर, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेममयी लीलाओं को पढ़ने और सुनने के लिए हर साधक, हर जिज्ञासु, हर दर्शनार्थी लालायित रहता है।
अलौकिक है उनका चरित्र, अकथनीय है उनकी कथा और अवर्णनीय है उनकी गुणावली। कितना भी लिखा जाय, कितना भी पढ़ा जाय पाठक फिर भी प्यासा ही बना रहता है क्योंकि उनका चरित्र अलौकिक है, उनकी लीलायें नित्य नवायमान, प्रतिक्षण वर्धमान रस प्रदान करने वाली हैं। जगद्गुरूत्तम कार्यक्रम इतिहास यदि लिखा जाय, तो बहुत विशाल ग्रन्थ बन जायेगा, फिर भी अधूरा ही रहेगा। अत्यधिक संक्षेप में उनके अलौकिक चरित्र की स्वर्णिम गाथा एवं उनके द्वारा मानवोत्थान में योगदान के कुछ अंश लिखे जा रहे हैं।
Janma-shatabdi Visheshank magazineVARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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जन्म शताब्दी महोत्सव पर हार्दिक बधाई।
प्रिया प्रियतम के प्रेमरस रसिक प्रिय गुरुवर, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेममयी लीलाओं को पढ़ने और सुनने के लिए हर साधक, हर जिज्ञासु, हर दर्शनार्थी लालायित रहता है।
अलौकिक है उनका चरित्र, अकथनीय है उनकी कथा और अवर्णनीय है उनकी गुणावली। कितना भी लिखा जाय, कितना भी पढ़ा जाय पाठक फिर भी प्यासा ही बना रहता है क्योंकि उनका चरित्र अलौकिक है, उनकी लीलायें नित्य नवायमान, प्रतिक्षण वर्धमान रस प्रदान करने वाली हैं। जगद्गुरूत्तम कार्यक्रम इतिहास यदि लिखा जाय, तो बहुत विशाल ग्रन्थ बन जायेगा, फिर भी अधूरा ही रहेगा। अत्यधिक संक्षेप में उनके अलौकिक चरित्र की स्वर्णिम गाथा एवं उनके द्वारा मानवोत्थान में योगदान के कुछ अंश लिखे जा रहे हैं।
Language | Hindi |
Genre | Spiritual Magazine |
Format | Magazine |
Author | Radha Govind Samiti |
Publisher | Radha Govind Samiti |
Dimension | 21.5cm X 28cm X 0.4cm |