गुरु पूर्णिमा पर्व पर सभी साधकों को हार्दिक बधाई
गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व गुरु भक्ति, गुरु सेवा का दिव्य सन्देश देते हुए, परम प्रिय गुरुवर की अनन्त करुणा, उनके अनन्त उपकारों का स्मरण कराता है। विशेष रूप से इस वर्ष गुरु पूर्णिमा सौ वर्षों के स्वर्णिम इतिहास की पुण्य गाथा गा रही है। आँधी, तूफान, गर्मी, सर्दी, बरसात की परवाह किये बिना, निरन्तर गतिशील प्रिय गुरुवर के अलौकिक पावन चरित्र का यशोगान कोई किस प्रकार से कर सकता है। उन्होंने हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सबको अपना बनाया, सबको गले लगाया, सबको ‘राधे राधे गोविन्द राधे' की धुन पर नचाया।
समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं पाश्चात्य दार्शनिकों के सिद्धान्तों के परस्पर विरोधी मतों का समन्वय किया। सभी आचार्यों का सम्मान करते हुए एकमात्र भक्तियोग का प्राधान्य सिद्ध किया। किन्तु भक्तियोग कर्म मिश्रित (कर्मयोग) का ही उपदेश दिया। वे सम्प्रदायवाद, शिष्य परंपरा (कान फूँकना आदि) गुरुडम से सदा दूर रहे। उन्होंने किसी का भी कान नहीं फूँका। वे राजनीति से सदैव कोसों दूर रहे।
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गुरु पूर्णिमा पर्व पर सभी साधकों को हार्दिक बधाई
गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व गुरु भक्ति, गुरु सेवा का दिव्य सन्देश देते हुए, परम प्रिय गुरुवर की अनन्त करुणा, उनके अनन्त उपकारों का स्मरण कराता है। विशेष रूप से इस वर्ष गुरु पूर्णिमा सौ वर्षों के स्वर्णिम इतिहास की पुण्य गाथा गा रही है। आँधी, तूफान, गर्मी, सर्दी, बरसात की परवाह किये बिना, निरन्तर गतिशील प्रिय गुरुवर के अलौकिक पावन चरित्र का यशोगान कोई किस प्रकार से कर सकता है। उन्होंने हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सबको अपना बनाया, सबको गले लगाया, सबको ‘राधे राधे गोविन्द राधे' की धुन पर नचाया।
समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं पाश्चात्य दार्शनिकों के सिद्धान्तों के परस्पर विरोधी मतों का समन्वय किया। सभी आचार्यों का सम्मान करते हुए एकमात्र भक्तियोग का प्राधान्य सिद्ध किया। किन्तु भक्तियोग कर्म मिश्रित (कर्मयोग) का ही उपदेश दिया। वे सम्प्रदायवाद, शिष्य परंपरा (कान फूँकना आदि) गुरुडम से सदा दूर रहे। उन्होंने किसी का भी कान नहीं फूँका। वे राजनीति से सदैव कोसों दूर रहे।
Language | Hindi |
Genre | Spiritual Magazine |
Format | Magazine |
Author | Radha Govind Samiti |
Publisher | Radha Govind Samiti |
Number of pages | 72 |
Dimension | 21.5cm X 28cm X 0.4cm |