भावी का भरोसा तजु गोविन्द राधे।
वर्तमान में ही मन हरि में लगा दे।।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का यह अद्भुत दोहा कृपालु भक्ति धारा से है, उन्ही के द्वारा की गयी इसकी व्याख्या:
पहले तो मनुष्य शरीर ही करोड़ों जन्मों के बाद मिलता है। वो मिल भी जाए तो मार्ग बताने वाला बड़े भाग्य से मिलता है। वो भी मिल जाए तो हम उससे मिलें, उस पर श्रद्धा करें, यह भी बहुत दुर्लभ है। यह सब बनाव बन भी जाए और हमको पता हो जाए कल्याण किसमें है, हमने अब तक क्या किया? क्यों नहीं कल्याण किया? तो भी एक दोष है हम लोगों में कि परमार्थ को उधार कर देते हैं। कर लेंगे। अभी तो बच्चे हैं। अभी तो मौज-मस्ती के दिन हैं। रिटायर होंगे जब न, बूढ़े होंगे जब, बस यही करेंगे।
वेद कहता है, उधार मत करो। करेंगे करेंगे। यह मत बोलो । मत सोचो। रोज देख रहे हो कि किसी के जीवन का एक क्षण का भी भरोसा नहीं। कोई गारंटी नहीं है। अगला क्षण मिले न मिले। मानव देह छिन जाए। करोड़ों बच्चे डेली मर रहें हैं, करोड़ों जवान मर रहे हैं। फिर हम बुढ़ापे के लिए उधार करते हैं। क्यों? यह बहुत बड़ा दोष है। गलत काम तुरंत करतें हैं। संसारी काम तुरंत करतें हैं । पंक्चुअलिटी से करते हैं। हाँ, ट्रेन सात बजे जाएगी, साढ़े छः बजे पहुँच जाओ। कभी ऐसी गलती नहीं किया कि साढ़े सात बजे जाएगी तो सात एकतीस पर पहुँचो । संसार में सर्वत्र बड़े सावधान रहे। सड़क पर चलते हैं। उधर से भी सवारियाँ आ रहीं हैं, इधर से भी जा रहीं हैं। लफंगे गुंडे भी चल रहें हैं। सबसे सावधान होकर, पार कर गए शहर । कहीं एक्सीडेंट नहीं हुआ। संसार में हर जगह हम सावधान रहते हैं। और जहाँ परमार्थ का मामला आया, उधार! कर लेंगे।
रावण ने लक्ष्मण को उपदेश दिया था। राम ने कहा था लक्ष्मण से कि जाओ, रावण के पैर की तरफ खड़े होकर उपदेश लो। चारों वेदों का विद्वान था रावण। तो उसने कहा, "लक्ष्मण! अच्छा काम तुरंत करना और गलत काम को उधार कर देना।" आज यह गलत काम करना है। नहीं, अब आज नहीं कल करेंगे। तो? हो सकता है कि कल भावना बदल जाए और हम गलत काम से बच जाएँ।
और आज हमारी अच्छी भावना है परमार्थ करने की। भगवान् में मन लगाने की, धन से दान करने की ओर कह दिया कल करेंगे पहली बात तो कल आवे न आवे । और अगर आया भी ओर यह वर्तमान भावना कल भी बनी रहेगी कोई गारंटी नहीं। यह इतना बदमाश है मन एक मिनट में बदल जाता है। अरे मिनट भी नहीं,
इसलिए उधार नहीं करना है परमार्थ में। संसारी मामले में उधार अवश्य करना है।
शेष फिर...
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