जो साधक आश्रम में रहकर गुरु सेवा कर रहे हैं, जिन्होंने अपना सर्वसमर्पण कर दिया किन्तु फिर भी अनन्त जन्मों के अभ्यास एवं लापरवाही से गुरुधाम मे रहकर भी क्षण क्षण का सदुपयोग न करके प्रपंच में लगे रहते हैं, उन साधकों के लिए परम प्रिय गुरुवर कितनी आत्मीयता रखते हैं, कितना दु:खी होकर उनके कल्याण के लिए चिन्तित रहते थे इस पुस्तक को पढ़ने से उसकी एक झलक प्राप्त हो जायगी।
Atma Kalyan - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
---|
जो साधक आश्रम में रहकर गुरु सेवा कर रहे हैं, जिन्होंने अपना सर्वसमर्पण कर दिया किन्तु फिर भी अनन्त जन्मों के अभ्यास एवं लापरवाही से गुरुधाम मे रहकर भी क्षण क्षण का सदुपयोग न करके प्रपंच में लगे रहते हैं, उन साधकों के लिए परम प्रिय गुरुवर कितनी आत्मीयता रखते हैं, कितना दु:खी होकर उनके कल्याण के लिए चिन्तित रहते थे इस पुस्तक को पढ़ने से उसकी एक झलक प्राप्त हो जायगी।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, अभ्यास की शक्ति, हर दिन पढ़ें |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 58 |
वजन (ग्राम) | 69 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661964 |