इन तीनों के बारे में हमारी गलतफहमी हमारे मन को ईश्वर के प्रति समर्पण करने से रोकती है। एक बार जब हमें पता चलता है कि हम एक दैवीय इकाई हैं, और भौतिक सुख हमें कभी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं, तो हम दुनिया से अपने लगाव को ईश्वर के प्रति पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।
Atma, Sansara Vairagya Svarupa - Hindi - Ebookप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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इन तीनों के बारे में हमारी गलतफहमी हमारे मन को ईश्वर के प्रति समर्पण करने से रोकती है। एक बार जब हमें पता चलता है कि हम एक दैवीय इकाई हैं, और भौतिक सुख हमें कभी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं, तो हम दुनिया से अपने लगाव को ईश्वर के प्रति पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
फॉर्मेट | ईबुक |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आई.एस.बी.एन. | 9788194655343 |