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9789390373222 61f0217de7ee1e2c42ec286e भगवद् गीता ज्ञान - कर्मयोग - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61f02ceef9467244d050e2f7/1gita-gyan-series-3.jpg

.... आप लोग जितने यहाँ बैठे हैं, करोड़ों बार इन्द्र बन चुके हैं। इन्द्र । लेकिन याद नहीं होगा। अब आप लोग क्या सोचते हैं, एक लाख मिल जाये तो काम बन जाये। अरे जब स्वर्ग सम्राट होकर काम नहीं बना आपका जिसके अंडर में कुबेर है तो ये लाख करोड़ अरब ये आप क्या प्लान बना रहे हैं। ये धोखा है। वो कोई और चीज है। वही गीता में ढूँढ़ना है, क्या है? चलो- इतने बड़े समुद्र से और थोड़े से रत्न निकालना है...।

भगवद् गीता के प्रमुख सिद्धान्त कर्मयोग का दैनिक जीवन में अभ्यास किस प्रकार किया जाय, इस पक्ष को प्रस्तुत पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। संसार की भागदौड़ करते हुये, गृहस्थी में रहते हुये मन किस प्रकार से भगवान् में लगाया जाय इस तथ्य को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा अत्यधिक सरल भाषा में समझाया गया है।

Bhagavad Gita Jnana Karmayoga Vol 3- Hindi
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भगवद् गीता ज्ञान - कर्मयोग - हिन्दी

क्या है मन यार में तन कार में?
भाषा - हिन्दी

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विशेषताएं
  • गीता में बताये कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग को जानना चाहते हो तो आज ही गीता ज्ञान पढ़े।
  • जानिये कर्मयोग की साधना दैनिक जीवन में कैसे करना है?
  • गीता के अंतिम श्लोक के पीछे छिपे रहस्य को आज ही जानिये।
  • कर्मयोग के इन बातों को 99% लोग नहीं जानते।
  • आसान एवं सरल उपाय जिससे भगवान् का स्मरण निरंतर होता रहेगा।
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प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

.... आप लोग जितने यहाँ बैठे हैं, करोड़ों बार इन्द्र बन चुके हैं। इन्द्र । लेकिन याद नहीं होगा। अब आप लोग क्या सोचते हैं, एक लाख मिल जाये तो काम बन जाये। अरे जब स्वर्ग सम्राट होकर काम नहीं बना आपका जिसके अंडर में कुबेर है तो ये लाख करोड़ अरब ये आप क्या प्लान बना रहे हैं। ये धोखा है। वो कोई और चीज है। वही गीता में ढूँढ़ना है, क्या है? चलो- इतने बड़े समुद्र से और थोड़े से रत्न निकालना है...।

भगवद् गीता के प्रमुख सिद्धान्त कर्मयोग का दैनिक जीवन में अभ्यास किस प्रकार किया जाय, इस पक्ष को प्रस्तुत पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। संसार की भागदौड़ करते हुये, गृहस्थी में रहते हुये मन किस प्रकार से भगवान् में लगाया जाय इस तथ्य को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा अत्यधिक सरल भाषा में समझाया गया है।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
विषयवस्तु तत्वज्ञान, गीता ज्ञान
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण संकलन
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 104
वजन (ग्राम) 95
आकार 18 सेमी X 12 सेमी X 0.8 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789390373222

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