कल्याण के अनेक साधन हैं किन्तु
एहि कलि काल न साधन दूजा।
जोग न जप तप व्रत मख पूजा॥
कलियुग में केवल भगवन्नाम, गुणादि से ही काम बनेगा अन्य कोई साधन नहीं। दूसरी ओर वेद से लेकर रामायण तक हर ग्रन्थ ऐसा भी कहता है केवल भक्ति से ही भगवत्प्राप्ति होगी।
प्रस्तुत प्रवचन में इन दो विरोधी सिद्धान्तों का निराकरण करते हुए आचार्य श्री ने भगवन्नाम, गुण, लीलादि संकीर्तन का रहस्य बताया है।
Bhagavannam Mahatmya - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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कल्याण के अनेक साधन हैं किन्तु
एहि कलि काल न साधन दूजा।
जोग न जप तप व्रत मख पूजा॥
कलियुग में केवल भगवन्नाम, गुणादि से ही काम बनेगा अन्य कोई साधन नहीं। दूसरी ओर वेद से लेकर रामायण तक हर ग्रन्थ ऐसा भी कहता है केवल भक्ति से ही भगवत्प्राप्ति होगी।
प्रस्तुत प्रवचन में इन दो विरोधी सिद्धान्तों का निराकरण करते हुए आचार्य श्री ने भगवन्नाम, गुण, लीलादि संकीर्तन का रहस्य बताया है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 36 |
वजन (ग्राम) | 47 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661858 |