भक्तियोगरसावतार जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विश्व कल्याण हेतु, विश्व बन्धुत्व की भावना सुदृढ़ करते हुये, भक्ति द्वारा विश्वशान्ति का दिव्य सन्देश देने वाला, यह दिव्य स्मारक भक्ति मन्दिर उन्हीं की असीम अनुकम्पा, प्रेरणा एवं भागीरथ प्रयास से बना है और उन्हीं के कर कमलों द्वारा इसका उद्घाटन 17 नवम्बर 2005 को सम्पन्न हुआ।
शिल्पकला की उत्कृष्टता, काले ग्रेनाइट के खम्भे, सभी कुछ अद्वितीय है। प्रथम तल पर श्री राधाकृष्ण का मनोहारी स्वरूप एवं द्वितीय तल पर श्री सीताराम की अद्भुत सौन्दर्य माधुर्य वाली छवि, बरबस भक्तों को भक्तिरस में डुबो देती है। यद्यपि कोई भी दर्शनार्थी मन्दिर में पहुँचकर ही इस भव्यातिभव्य स्मारक की दिव्यता का अनुभव कर सकता है, किन्तु प्रस्तुत पुस्तक के पन्ने पलटकर भी आप भक्ति मन्दिर की यात्रा कर सकते हैं।
प्रथम पन्ने से प्रारम्भ करेंगे तो रोक नहीं पायेंगे अपने आपको और अन्तिम पृष्ठ तक पहुँचते पहुँचते आप अत्यधिक व्याकुल हो जायेंगे, भक्ति धाम की यात्रा के लिए। मन कह उठेगा- चलो भक्ति-धाम, चलो भक्ति-धाम।
परमकृपालु गुरुवर की असीम अनुकम्पा से निर्मित देवालय का पुस्तक रूप में निरूपण भी उन्हीं की करुणा का परिणाम है। उन्हीं के श्रीचरणों में समर्पित है, यह भक्ति मन्दिर का निरूपण करने वाली पुस्तक। बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
Bhakti Mandir Bhakti Dhamप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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भक्तियोगरसावतार जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विश्व कल्याण हेतु, विश्व बन्धुत्व की भावना सुदृढ़ करते हुये, भक्ति द्वारा विश्वशान्ति का दिव्य सन्देश देने वाला, यह दिव्य स्मारक भक्ति मन्दिर उन्हीं की असीम अनुकम्पा, प्रेरणा एवं भागीरथ प्रयास से बना है और उन्हीं के कर कमलों द्वारा इसका उद्घाटन 17 नवम्बर 2005 को सम्पन्न हुआ।
शिल्पकला की उत्कृष्टता, काले ग्रेनाइट के खम्भे, सभी कुछ अद्वितीय है। प्रथम तल पर श्री राधाकृष्ण का मनोहारी स्वरूप एवं द्वितीय तल पर श्री सीताराम की अद्भुत सौन्दर्य माधुर्य वाली छवि, बरबस भक्तों को भक्तिरस में डुबो देती है। यद्यपि कोई भी दर्शनार्थी मन्दिर में पहुँचकर ही इस भव्यातिभव्य स्मारक की दिव्यता का अनुभव कर सकता है, किन्तु प्रस्तुत पुस्तक के पन्ने पलटकर भी आप भक्ति मन्दिर की यात्रा कर सकते हैं।
प्रथम पन्ने से प्रारम्भ करेंगे तो रोक नहीं पायेंगे अपने आपको और अन्तिम पृष्ठ तक पहुँचते पहुँचते आप अत्यधिक व्याकुल हो जायेंगे, भक्ति धाम की यात्रा के लिए। मन कह उठेगा- चलो भक्ति-धाम, चलो भक्ति-धाम।
परमकृपालु गुरुवर की असीम अनुकम्पा से निर्मित देवालय का पुस्तक रूप में निरूपण भी उन्हीं की करुणा का परिणाम है। उन्हीं के श्रीचरणों में समर्पित है, यह भक्ति मन्दिर का निरूपण करने वाली पुस्तक। बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
भाषा | द्विभाषी, हिंदी, अंग्रेजी |
शैली / रचना-पद्धति | स्मारिका |
फॉर्मेट | कॉफी टेबल बुक |
वर्गीकरण | विशेष |
लेखक | राधा गोविंद समिति |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 376 |
वजन (ग्राम) | 1555 |
आकार | 25 सेमी X 31.5 सेमी X 2.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789390373024 |