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9789390373109 61ced90d03f9d6e71c7092e9 ब्रज रस माधुरी भाग 2 ईबुक - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61cf0bb3bf216894e6f66761/4.jpg

ब्रजरस रसिक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, रसिक शिरोमणि, रसरूप श्यामसुन्दर एवं रससिन्धु रासेश्वरी श्री राधारानी की रसमयी लीलाओं का रसास्वादन साधारण जीवों को भी कराने के लिये सदैव आतुर रहते हैं। दिव्य उन्माद की अवस्था में वे रसिक और रसरूप दोनों ही प्रतीत होते हैं। साथ ही यह भी अनुभूति होती है कि वह जीवों को बरबस ब्रजरस वितरित करना चाहते हैं। उनके श्री मुख से नि:सृत संकीर्तन ब्रजरस ही है, पीने वाला होना चाहिये।

‘ब्रजरस माधुरी’ में समस्त संकीर्तन संकलित किये गये हैं। यह पुस्तक तीन भागों में प्रकाशित की गई है। 

Braj Ras Madhuri Part 2 - Hindi - Ebook
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Braj Ras Madhuri Part 2 - Hindi - Ebook

ब्रज रस माधुरी भाग 2 ईबुक - हिन्दी

भाषा - हिन्दी



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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

ब्रजरस रसिक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, रसिक शिरोमणि, रसरूप श्यामसुन्दर एवं रससिन्धु रासेश्वरी श्री राधारानी की रसमयी लीलाओं का रसास्वादन साधारण जीवों को भी कराने के लिये सदैव आतुर रहते हैं। दिव्य उन्माद की अवस्था में वे रसिक और रसरूप दोनों ही प्रतीत होते हैं। साथ ही यह भी अनुभूति होती है कि वह जीवों को बरबस ब्रजरस वितरित करना चाहते हैं। उनके श्री मुख से नि:सृत संकीर्तन ब्रजरस ही है, पीने वाला होना चाहिये।

‘ब्रजरस माधुरी’ में समस्त संकीर्तन संकलित किये गये हैं। यह पुस्तक तीन भागों में प्रकाशित की गई है। 

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आई.एस.बी.एन.9789390373109

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