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9789390373901 6721757c06146e00367d73c0 ब्रज रस माधुरी भाग 1 - हिन्दी (नया एडिशन) https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6721765cbea16b002b34b679/brm1.jpg

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की पुस्तक ब्रजरस माधुरी में उनके द्वारा रचित काव्य, काव्य ही नहीं अपितु, उनके दिव्य प्रेम से ओतप्रोत हृदय की मधुर-मधुर झनकारें हैं। जैसा कि पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है, दिव्य रसों में सर्वश्रेष्ठ ब्रजरस का माधुर्य निर्झरित होता है इस पुस्तक के संकीर्तनों से। प्रत्येक जीव आनन्द स्वरूप भगवान् का सनातन अंश है। अतएव अपने अंशी भगवान् को प्राप्त करके ही उसे वास्तविक आनन्द की प्राप्ति हो सकती है। समस्त भगवत्स्वरूपों में ब्रज के श्री राधाकृष्ण का स्वरूप ही मधुरतम है। अतएव उन्हीं की भक्ति से ही दिव्यानन्द के उज्ज्वलतम स्वरूप की प्राप्ति सम्भव है। श्री राधाकृष्ण-भक्ति की आधारशिलायें हैं- दीनता, अनन्यता एवं निष्कामता, (ब्रह्मलोक पर्यंत के सुखों एवं पाँचों प्रकार की मुक्तियों की कामना का परित्याग)। किन्तु कलियुग के विशेषरूपेण पतित जीवों के हृदय में इन बातों को उतारना, और वह भी ऐसे समय में जब अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिये अहंकार युक्त इस जीव की झूठी प्रशंसा करके उसके अहंकार को और अधिक वर्धित करने वाले एवं सांसारिक कामनाओं की सिद्धि के लिये ही ईश्वर-भक्ति का उपदेश देने वाले लोकरंजक उपदेशक ही चारों ओर विद्यमान हों, अत्यन्त ही दुरूह कार्य है। किन्तु जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की भक्ति रचनाओं की यह अभूतपूर्व विशेषता है कि वे इस असम्भव से कार्य को भी सहज ही सम्भव कर देती हैं। संकीर्तनों में व्यक्त भाव इतने मार्मिक व हृदय को आलोड़ित करने वाले हैं कि दीनता एवं निष्कामता के भाव सहज ही साधक के हृदय में अपनी जड़ें जमाने लगते हैं, जिससे वह बिना किसी विशेष प्रयास के ही विशुद्धा भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होता जाता है। भक्ति-पथ के पथिक प्रत्येक साधक को ‘ब्रजरस माधुरी’ के सहज माधुर्य का पान करके अपनी देवदुर्लभ मानव देह को अवश्य ही सफल करना चाहिये।

इस एडिशन में क्या नया है?

नई ब्रज रस माधुरी एक संपूर्ण आध्यात्मिक खजाना है, जो आपकी भक्ति को और भी गहरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस एडिशन में विषय-वार वर्गीकरण जोड़ा गया है, जिससे अब आप अपने पसंदीदा संकीर्तन को आसानी से ढूंढकर भक्ति में लीन हो सकते हैं।

ब्रज रस लीला, नाम संकीर्तन, सद्गुरु सरकार, श्री कृष्ण, श्री राधा रानी और कई अन्य विषयों पर आधारित इस संकलन में आप आसानी से अपने मनपसंद संकीर्तन का चयन कर सकते हैं। प्रत्येक धुन को विशेष पहचान संख्या दी गई है, जिससे इन्हें गाना और भी सरल हो गया है।

इस विशेष एडिशन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित कुछ दुर्लभ और पहले कभी प्रकाशित न की गईं पंक्तियाँ भी शामिल की गई हैं।

Braj Ras Madhuri vol 1 Hindi New
in stock INR 225
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ब्रज रस माधुरी भाग 1 - हिन्दी (नया एडिशन)

ब्रजरस से आप्लावित संकीर्तन संग्रह
भाषा - हिन्दी

₹225
₹367   (39%छूट)


विशेषताएं
  • भक्ति पथ के साधकों के लिए 200 से भी अधिक हिंदी, ब्रज, एवं उर्दू भाषा में जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा अनमोल रचनाएँ
  • जन्माष्टमी, राधाष्टमी, श्रीराम नवमी, महाप्रभु जयंती, शिवरात्रि, गुरु पूर्णिमा जैसे त्योहारों के लिए अनेक भजन
  • गज़ल और कव्वालियों में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए अनुपम उपहार
  • दीनता, अनन्यता एवं निष्कामता से पूर्ण ये संकीर्तन सहज ही भावुक भक्तों को विशुद्ध भक्ति के लिए प्रेरित करते हैं
  • रूपध्यान के लिए सर्वोत्तम यंत्र
  • साधना कैसे की जाए? - इसका निरूपण
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प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की पुस्तक ब्रजरस माधुरी में उनके द्वारा रचित काव्य, काव्य ही नहीं अपितु, उनके दिव्य प्रेम से ओतप्रोत हृदय की मधुर-मधुर झनकारें हैं। जैसा कि पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है, दिव्य रसों में सर्वश्रेष्ठ ब्रजरस का माधुर्य निर्झरित होता है इस पुस्तक के संकीर्तनों से। प्रत्येक जीव आनन्द स्वरूप भगवान् का सनातन अंश है। अतएव अपने अंशी भगवान् को प्राप्त करके ही उसे वास्तविक आनन्द की प्राप्ति हो सकती है। समस्त भगवत्स्वरूपों में ब्रज के श्री राधाकृष्ण का स्वरूप ही मधुरतम है। अतएव उन्हीं की भक्ति से ही दिव्यानन्द के उज्ज्वलतम स्वरूप की प्राप्ति सम्भव है। श्री राधाकृष्ण-भक्ति की आधारशिलायें हैं- दीनता, अनन्यता एवं निष्कामता, (ब्रह्मलोक पर्यंत के सुखों एवं पाँचों प्रकार की मुक्तियों की कामना का परित्याग)। किन्तु कलियुग के विशेषरूपेण पतित जीवों के हृदय में इन बातों को उतारना, और वह भी ऐसे समय में जब अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिये अहंकार युक्त इस जीव की झूठी प्रशंसा करके उसके अहंकार को और अधिक वर्धित करने वाले एवं सांसारिक कामनाओं की सिद्धि के लिये ही ईश्वर-भक्ति का उपदेश देने वाले लोकरंजक उपदेशक ही चारों ओर विद्यमान हों, अत्यन्त ही दुरूह कार्य है। किन्तु जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की भक्ति रचनाओं की यह अभूतपूर्व विशेषता है कि वे इस असम्भव से कार्य को भी सहज ही सम्भव कर देती हैं। संकीर्तनों में व्यक्त भाव इतने मार्मिक व हृदय को आलोड़ित करने वाले हैं कि दीनता एवं निष्कामता के भाव सहज ही साधक के हृदय में अपनी जड़ें जमाने लगते हैं, जिससे वह बिना किसी विशेष प्रयास के ही विशुद्धा भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होता जाता है। भक्ति-पथ के पथिक प्रत्येक साधक को ‘ब्रजरस माधुरी’ के सहज माधुर्य का पान करके अपनी देवदुर्लभ मानव देह को अवश्य ही सफल करना चाहिये।

इस एडिशन में क्या नया है?

नई ब्रज रस माधुरी एक संपूर्ण आध्यात्मिक खजाना है, जो आपकी भक्ति को और भी गहरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस एडिशन में विषय-वार वर्गीकरण जोड़ा गया है, जिससे अब आप अपने पसंदीदा संकीर्तन को आसानी से ढूंढकर भक्ति में लीन हो सकते हैं।

ब्रज रस लीला, नाम संकीर्तन, सद्गुरु सरकार, श्री कृष्ण, श्री राधा रानी और कई अन्य विषयों पर आधारित इस संकलन में आप आसानी से अपने मनपसंद संकीर्तन का चयन कर सकते हैं। प्रत्येक धुन को विशेष पहचान संख्या दी गई है, जिससे इन्हें गाना और भी सरल हो गया है।

इस विशेष एडिशन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित कुछ दुर्लभ और पहले कभी प्रकाशित न की गईं पंक्तियाँ भी शामिल की गई हैं।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति संकीर्तन
विषयवस्तु सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण प्रमुख रचना
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 352
वजन (ग्राम) 300
आकार 12.5 सेमी X 18 सेमी X 2 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789390373901

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