ब्रजरस रसिक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, रसिक शिरोमणि, रसरूप श्यामसुन्दर एवं रससिन्धु रासेश्वरी श्री राधारानी की रसमयी लीलाओं का रसास्वादन साधारण जीवों को भी कराने के लिये सदैव आतुर रहते हैं। दिव्य उन्माद की अवस्था में वे रसिक और रसरूप दोनों ही प्रतीत होते हैं। साथ ही यह भी अनुभूति होती है कि वह जीवों को बरबस ब्रजरस वितरित करना चाहते हैं। उनके श्री मुख से नि:सृत संकीर्तन ब्रजरस ही है, पीने वाला होना चाहिये।
‘ब्रजरस माधुरी’ में समस्त संकीर्तन संकलित किये गये हैं। यह पुस्तक तीन भागों में प्रकाशित की गई है।
नई ब्रज रस माधुरी एक संपूर्ण आध्यात्मिक खजाना है, जो आपकी भक्ति को और भी गहरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस एडिशन में विषय-वार वर्गीकरण जोड़ा गया है, जिससे अब आप अपने पसंदीदा संकीर्तन को आसानी से ढूंढकर भक्ति में लीन हो सकते हैं।
ब्रज रस लीला, नाम संकीर्तन, सद्गुरु सरकार, श्री कृष्ण, श्री राधा रानी और कई अन्य विषयों पर आधारित इस संकलन में आप आसानी से अपने मनपसंद संकीर्तन का चयन कर सकते हैं। प्रत्येक धुन को विशेष पहचान संख्या दी गई है, जिससे इन्हें गाना और भी सरल हो गया है।
इस विशेष एडिशन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित कुछ दुर्लभ और पहले कभी प्रकाशित न की गईं पंक्तियाँ भी शामिल की गई हैं।
Braj Ras Madhuri vol 2 Hindi Newप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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ब्रजरस रसिक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, रसिक शिरोमणि, रसरूप श्यामसुन्दर एवं रससिन्धु रासेश्वरी श्री राधारानी की रसमयी लीलाओं का रसास्वादन साधारण जीवों को भी कराने के लिये सदैव आतुर रहते हैं। दिव्य उन्माद की अवस्था में वे रसिक और रसरूप दोनों ही प्रतीत होते हैं। साथ ही यह भी अनुभूति होती है कि वह जीवों को बरबस ब्रजरस वितरित करना चाहते हैं। उनके श्री मुख से नि:सृत संकीर्तन ब्रजरस ही है, पीने वाला होना चाहिये।
‘ब्रजरस माधुरी’ में समस्त संकीर्तन संकलित किये गये हैं। यह पुस्तक तीन भागों में प्रकाशित की गई है।
नई ब्रज रस माधुरी एक संपूर्ण आध्यात्मिक खजाना है, जो आपकी भक्ति को और भी गहरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस एडिशन में विषय-वार वर्गीकरण जोड़ा गया है, जिससे अब आप अपने पसंदीदा संकीर्तन को आसानी से ढूंढकर भक्ति में लीन हो सकते हैं।
ब्रज रस लीला, नाम संकीर्तन, सद्गुरु सरकार, श्री कृष्ण, श्री राधा रानी और कई अन्य विषयों पर आधारित इस संकलन में आप आसानी से अपने मनपसंद संकीर्तन का चयन कर सकते हैं। प्रत्येक धुन को विशेष पहचान संख्या दी गई है, जिससे इन्हें गाना और भी सरल हो गया है।
इस विशेष एडिशन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित कुछ दुर्लभ और पहले कभी प्रकाशित न की गईं पंक्तियाँ भी शामिल की गई हैं।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 416 |
वजन (ग्राम) | 345 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 2 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789390373987 |
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