दानमेकं कलौ युगे इस शास्त्रीय सिद्धान्त को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने क्रियात्मक रूप प्रदान करने हेतु अनेक प्रकार से दान का महत्व समझाया। इस पुस्तक में उन्होंने दान देते समय रखी जाने वाली सावधानी, दान के विषय में बारीक़ बाते और दान के महत्व पर प्रकाश डाला है। जिससे पाठकों का कल्याण हो और वे अपना परमार्थ बनायें।
Danamekam Kalau Yuge - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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दानमेकं कलौ युगे इस शास्त्रीय सिद्धान्त को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने क्रियात्मक रूप प्रदान करने हेतु अनेक प्रकार से दान का महत्व समझाया। इस पुस्तक में उन्होंने दान देते समय रखी जाने वाली सावधानी, दान के विषय में बारीक़ बाते और दान के महत्व पर प्रकाश डाला है। जिससे पाठकों का कल्याण हो और वे अपना परमार्थ बनायें।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, हर दिन पढ़ें, दान क्यों करें? |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 89 |
वजन (ग्राम) | 98 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.8 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661735 |