दानमेकं कलौ युगे इस शास्त्रीय सिद्धान्त को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने क्रियात्मक रूप प्रदान करने हेतु अनेक प्रकार से दान का महत्व समझाया। साथ ही अनेक प्रकार की जनकल्याणकारी योजनायें प्रारम्भ की जिससे सब मनुष्यों को दान का अवसर प्राप्त हो और उनके द्वारा अर्जित आवश्यक धन का सदुपयोग हो। इस छोटी सी पुस्तक में उनके द्वारा दान के महत्व पर जो छोटे छोटे प्रवचन दिये गये है वह प्रकाशित किये जा रहे हैं, जिससे पाठकों का कल्याण हो, वे गरीबों की सेवा करके अपना परमार्थ बनायें।
Danamekam Kalau Yuge - Hindi Ebookप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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दानमेकं कलौ युगे इस शास्त्रीय सिद्धान्त को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने क्रियात्मक रूप प्रदान करने हेतु अनेक प्रकार से दान का महत्व समझाया। साथ ही अनेक प्रकार की जनकल्याणकारी योजनायें प्रारम्भ की जिससे सब मनुष्यों को दान का अवसर प्राप्त हो और उनके द्वारा अर्जित आवश्यक धन का सदुपयोग हो। इस छोटी सी पुस्तक में उनके द्वारा दान के महत्व पर जो छोटे छोटे प्रवचन दिये गये है वह प्रकाशित किये जा रहे हैं, जिससे पाठकों का कल्याण हो, वे गरीबों की सेवा करके अपना परमार्थ बनायें।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
फॉर्मेट | ईबुक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आई.एस.बी.एन. | 9788194589648 |