जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ये सर्वोत्तम भक्तिपूर्ण पद, श्री राधा कृष्ण के दिव्य धामों की अलौकिक सुंदरता और पवित्रता की एक झलक प्रस्तुत करते हैं। वृन्दावन के कुंजों की हरियाली से लेकर यमुना नदी के रेतीले किनारों तक, सुन्दर रत्नों से जटित गिरी गोवर्धन से श्री राधा कुंड की मोहकता तक, बरसाना की आकर्षक वन्यभूमि से लेकर बरसाने के मणिओं से उज्जवल सरोवर तक, श्री कृपालु जी की रचनाएँ जीवों के मन एवं इंद्रियों को भक्ति भावना से समृद्ध कर देती हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह पाँचवा अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।