भगवत्कृपा का सबसे पक्का प्रमाण, भगवज्जन मिलन है, कृपा से लाभ लेना तभी संभव है, जब इस कृपा को बार-बार चिन्तन में लाया जाय। भगवज्जन का यदि दर्शन मात्र प्राप्त हो जाय तो बार-बार चिन्तन कर आनन्द विभोर होना चाहिए क्योंकि उसके दर्शन को पाने या दिलाने की सामर्थ्य किसी भी साधना में नहीं है। यदि दर्शन के अतिरिक्त और भी सामीप्य मिल जाय फिर तो बात ही क्या है। यदि उस अमूल्य निधि को पाकर भी साधारण भावना या चिन्तन रहा तो महान् कृतघ्नता एवं महान् दुर्भाग्य ही होगा, क्योंकि इससे अधिक हमें क्या पाना शेष है।
गुरु कृपा के बारे में न कोई लिख सकता है न कोई जान सकता है। हमारे चिन्तन पर निर्भर करता है कि हम उनका कितना मूल्य समझते हैं। वे तो कृपालु ही हैं, केवल कृपा ही करते हैं जिस दिन हम सेन्ट परसेन्ट उन्हें कृपालु मान लेंगे बस फिर वे तुरन्त दिव्य प्रेम देकर मालामाल कर देंगे। प्रस्तुत पुस्तक में गुरु कृपा से सम्बन्धित कुछ सामग्री प्रकाशित की जा रही है आशा है इसे बार-बार पढ़ने से गुरु कृपा का कुछ अनुमान लगा सकेंगे जिसका पुन:-पुन: चिन्तन साधना में अवश्य सहायक सिद्ध होगा।
Guru Kripa - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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भगवत्कृपा का सबसे पक्का प्रमाण, भगवज्जन मिलन है, कृपा से लाभ लेना तभी संभव है, जब इस कृपा को बार-बार चिन्तन में लाया जाय। भगवज्जन का यदि दर्शन मात्र प्राप्त हो जाय तो बार-बार चिन्तन कर आनन्द विभोर होना चाहिए क्योंकि उसके दर्शन को पाने या दिलाने की सामर्थ्य किसी भी साधना में नहीं है। यदि दर्शन के अतिरिक्त और भी सामीप्य मिल जाय फिर तो बात ही क्या है। यदि उस अमूल्य निधि को पाकर भी साधारण भावना या चिन्तन रहा तो महान् कृतघ्नता एवं महान् दुर्भाग्य ही होगा, क्योंकि इससे अधिक हमें क्या पाना शेष है।
गुरु कृपा के बारे में न कोई लिख सकता है न कोई जान सकता है। हमारे चिन्तन पर निर्भर करता है कि हम उनका कितना मूल्य समझते हैं। वे तो कृपालु ही हैं, केवल कृपा ही करते हैं जिस दिन हम सेन्ट परसेन्ट उन्हें कृपालु मान लेंगे बस फिर वे तुरन्त दिव्य प्रेम देकर मालामाल कर देंगे। प्रस्तुत पुस्तक में गुरु कृपा से सम्बन्धित कुछ सामग्री प्रकाशित की जा रही है आशा है इसे बार-बार पढ़ने से गुरु कृपा का कुछ अनुमान लगा सकेंगे जिसका पुन:-पुन: चिन्तन साधना में अवश्य सहायक सिद्ध होगा।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | गुरु - सच्चा आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक, तत्वज्ञान, छोटी किताब |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 81 |
वजन (ग्राम) | 127 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 0.7 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661995 |
#MustReadBySadhak : 🤩🩵First Book to be read by Devottee,Sadhak,Student on forming 🙌🏻SHRI KRIPALU MAHARAJ Ji as GURU (SPIRITUAL GURU)😇❤️ >>1. It's a great fortune and blessings of Radha Rani, Shri Krishna :That we receive the blessings of 🌟KRIPALU Maharaj Ji and he becomes our GURU.🌺2. Kripalu Maharaj Ji, motivates and guides us on how FORTUNATE✨ we are on having found a TRUE GURU and how can this FEELING and REALISATION can help us in our SELFLESS LOVE towards the SUPREME AND GURU🌈3. The book has beautiful chapters and also SUMMARY POINTS for easy revision on time to time basis.📖🔖😍Because, while reading the book you will able to recall his accents, his tone of speaking those divine words and give you a blissful experience ❤️Extremely grateful to Shri Kripalu Maharaji for blessing me, taking me under his SHARAN and literally saving my LIFE and giving a PURPOSE to it.🥺 As I can't even imagine of getting into SPIRITUALITY.Jul 19, 2023 4:47:15 AM