हमारे देश में बाबाओं की बाढ़ सी आयी हुई है, जो शास्त्र वेद का नाम तक नहीं जानते, वे लोगों के कान फूंक फूंक कर लोगों को गुमराह कर रहें हैं और धर्म के नाम पर व्यापार चला रहे हैं। जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने इन सबके विरुद्ध आवाज उठाई एवं निर्भीकता पूर्वक शास्त्रों के अनुसार वास्तविक गुरु कैसा होना चाहिये यह समझाकर सही मार्ग दर्शन किया। जीवनपर्यन्त उन्होंने किसी का भी कान नहीं फूंका, तब ही उनके बारे में सब बाबा यही कहते थे, न चेला बनाता है न बनाने देता है। वे स्वयं भी कहते थे ‘न गुरु न कोई चेला, कृपालु फिरे अकेला।’ वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थों में गुरु तत्त्व का निरूपण किया गया है। आचार्य श्री ने शास्त्रानुसार वास्तविक गुरु कौन और उसको कैसे पहचाना जाय? इत्यादि विषयों पर अपने अनेक प्रवचनों में प्रकाश डाला है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके विभिन्न प्रवचनों के अंशों को संकलित किया गया है। इस विषय को समझना परमावश्यक है जिससे कोई भी साधक सही गुरु के मार्गदर्शन में साधना करके अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
प्रस्तुत पुस्तक में उनके कुछ प्रवचनों के अंश संकलित किये गये हैं। पूर्णतया प्रयास किया गया है कि आचार्य श्री की दिव्य वाणी को यथार्थ रूप में ही प्रस्तुत किया जाय। अंग्रेजी भाषा के शब्द भी वैसे ही लिखे गये हैं जैसे उन्होंने बोले हैं।
Guru Tattva - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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हमारे देश में बाबाओं की बाढ़ सी आयी हुई है, जो शास्त्र वेद का नाम तक नहीं जानते, वे लोगों के कान फूंक फूंक कर लोगों को गुमराह कर रहें हैं और धर्म के नाम पर व्यापार चला रहे हैं। जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने इन सबके विरुद्ध आवाज उठाई एवं निर्भीकता पूर्वक शास्त्रों के अनुसार वास्तविक गुरु कैसा होना चाहिये यह समझाकर सही मार्ग दर्शन किया। जीवनपर्यन्त उन्होंने किसी का भी कान नहीं फूंका, तब ही उनके बारे में सब बाबा यही कहते थे, न चेला बनाता है न बनाने देता है। वे स्वयं भी कहते थे ‘न गुरु न कोई चेला, कृपालु फिरे अकेला।’ वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थों में गुरु तत्त्व का निरूपण किया गया है। आचार्य श्री ने शास्त्रानुसार वास्तविक गुरु कौन और उसको कैसे पहचाना जाय? इत्यादि विषयों पर अपने अनेक प्रवचनों में प्रकाश डाला है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके विभिन्न प्रवचनों के अंशों को संकलित किया गया है। इस विषय को समझना परमावश्यक है जिससे कोई भी साधक सही गुरु के मार्गदर्शन में साधना करके अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
प्रस्तुत पुस्तक में उनके कुछ प्रवचनों के अंश संकलित किये गये हैं। पूर्णतया प्रयास किया गया है कि आचार्य श्री की दिव्य वाणी को यथार्थ रूप में ही प्रस्तुत किया जाय। अंग्रेजी भाषा के शब्द भी वैसे ही लिखे गये हैं जैसे उन्होंने बोले हैं।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | गुरु - सच्चा आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 226 |
वजन (ग्राम) | 278 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 1.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661933 |