जिनका प्रत्येक शब्द, प्रत्येक वाक्य, प्रत्येक प्रवचन, प्रत्येक संकीर्तन नानापुराण वेद शास्त्र सम्मत है। ऐसे भारतीय धर्म संस्कृति, ऋषि परम्परा के संवाहक प्रेमरस रसिक भक्तियोगरसावतार कृपालु गुरुदेव का जीवन चरित्र अलौकिक है, उनकी कथा अकथनीय है उनकी गुणावलि का गान असम्भव ही है। ऐसे अनन्त गुणों की खान, ज्ञान के अगाध समुद्र जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से ग्राम मनगढ़ में हुआ जो वर्तमान में भक्ति-धाम के नाम से विख्यात है। ये समन्वयवादी जगद्गुरु थे। आपने समस्त शास्त्रों, वेदों, पुराणों एवं पाश्चात्य दार्शनिक सिद्धान्तों के परस्पर विरोधी मत मतान्तरों का समन्वय किया।
समस्त भारतीय दर्शनों का, ज्ञान और भक्ति का एवं भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का समन्वय करते हुए सभी आचार्यों का सम्मान करते हुए भक्तियोग प्राधान्य सार्वभौमिक सिद्धान्त प्रस्तुत किया, जो देश काल की सीमा से परे है। इसे सभी जाति, सभी सम्प्रदाय के लोग अपना सकते हैं। आपने सनातन धर्म के नाम पर व्याप्त पाखण्ड, रूढ़िवादिता, धर्मान्धता का निर्भीक खण्डन करते हुए सनातनवैदिकधर्म प्रतिष्ठापित किया।
समस्त भारतीय वाङ्मय का सार वेदों, शास्त्रों, पुराणों आदि के मर्म को सरल, सरस वाणी में प्रस्तुत करके अपने प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं को, साहित्य के माध्यम से पाठकों को और संकीर्तन के माध्यम से साधकों की मनोभूमि में बैठाने वाले पंचम मूल जगद्गुरु को तत्कालीन काशी विद्वत्परिषत् द्वारा 14 जनवरी सन् 1957 में जगद्गुरूत्तम घोषित किया गया।
अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याण हित समर्पित करने वाले विश्वोद्धारक, विश्वबन्धु, विश्वशान्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाले, विश्व गुरु की सदा ही जय हो।
Jagadguruttam - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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जिनका प्रत्येक शब्द, प्रत्येक वाक्य, प्रत्येक प्रवचन, प्रत्येक संकीर्तन नानापुराण वेद शास्त्र सम्मत है। ऐसे भारतीय धर्म संस्कृति, ऋषि परम्परा के संवाहक प्रेमरस रसिक भक्तियोगरसावतार कृपालु गुरुदेव का जीवन चरित्र अलौकिक है, उनकी कथा अकथनीय है उनकी गुणावलि का गान असम्भव ही है। ऐसे अनन्त गुणों की खान, ज्ञान के अगाध समुद्र जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से ग्राम मनगढ़ में हुआ जो वर्तमान में भक्ति-धाम के नाम से विख्यात है। ये समन्वयवादी जगद्गुरु थे। आपने समस्त शास्त्रों, वेदों, पुराणों एवं पाश्चात्य दार्शनिक सिद्धान्तों के परस्पर विरोधी मत मतान्तरों का समन्वय किया।
समस्त भारतीय दर्शनों का, ज्ञान और भक्ति का एवं भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का समन्वय करते हुए सभी आचार्यों का सम्मान करते हुए भक्तियोग प्राधान्य सार्वभौमिक सिद्धान्त प्रस्तुत किया, जो देश काल की सीमा से परे है। इसे सभी जाति, सभी सम्प्रदाय के लोग अपना सकते हैं। आपने सनातन धर्म के नाम पर व्याप्त पाखण्ड, रूढ़िवादिता, धर्मान्धता का निर्भीक खण्डन करते हुए सनातनवैदिकधर्म प्रतिष्ठापित किया।
समस्त भारतीय वाङ्मय का सार वेदों, शास्त्रों, पुराणों आदि के मर्म को सरल, सरस वाणी में प्रस्तुत करके अपने प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं को, साहित्य के माध्यम से पाठकों को और संकीर्तन के माध्यम से साधकों की मनोभूमि में बैठाने वाले पंचम मूल जगद्गुरु को तत्कालीन काशी विद्वत्परिषत् द्वारा 14 जनवरी सन् 1957 में जगद्गुरूत्तम घोषित किया गया।
अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याण हित समर्पित करने वाले विश्वोद्धारक, विश्वबन्धु, विश्वशान्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाले, विश्व गुरु की सदा ही जय हो।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | जीवनी |
विषयवस्तु | गुरु - सच्चा आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | कॉफी टेबल बुक |
वर्गीकरण | विशेष |
लेखक | राधा गोविंद समिति |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 248 |
वजन (ग्राम) | 1033 |
आकार | 23 सेमी X 28.5 सेमी X 2.3 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661889 |
Loved It Thank you Maharaj Ji For this Lovely Gift.Mar 14, 2024 6:22:31 AM
Best book in the world ❤️May 4, 2023 9:03:25 AM
This is the best book in the world ❤️❤️🌹May 4, 2023 9:01:15 AM
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