इस पुस्तक में श्री महाराज जी ने अनुराग-वैराग्य, कामना-उपासना, कर्मयोग-कर्मसंन्यास को लेकर उठने वाली शंकाओं का समाधान अत्यन्त ही सरल रूप में किया है।
पुस्तक को बार बार पढ़ने से तत्त्व ज्ञान परिपक्व होगा जिससे भगवत्प्रेम पिपासु साधक श्री महाराज जी द्वारा बताई गई विधि द्वारा रूपध्यान करते हुए, संसारी कामना को भगवान् सम्बन्धी कामना बनाने का अभ्यास कर, कर्मयोग एवं कर्मसंन्यास की साधना अपनाकर अपना कल्याण करेंगे। इसी आशा के साथ यह पुस्तक आपके सन्मुख प्रस्तुत है।
Kamna Aur Upasna - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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इस पुस्तक में श्री महाराज जी ने अनुराग-वैराग्य, कामना-उपासना, कर्मयोग-कर्मसंन्यास को लेकर उठने वाली शंकाओं का समाधान अत्यन्त ही सरल रूप में किया है।
पुस्तक को बार बार पढ़ने से तत्त्व ज्ञान परिपक्व होगा जिससे भगवत्प्रेम पिपासु साधक श्री महाराज जी द्वारा बताई गई विधि द्वारा रूपध्यान करते हुए, संसारी कामना को भगवान् सम्बन्धी कामना बनाने का अभ्यास कर, कर्मयोग एवं कर्मसंन्यास की साधना अपनाकर अपना कल्याण करेंगे। इसी आशा के साथ यह पुस्तक आपके सन्मुख प्रस्तुत है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | निष्काम प्रेम, जीवन परिवर्तनकारी, अध्यात्म के मूल सिद्धांत, तत्वज्ञान, निष्कामता |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 448 |
वजन (ग्राम) | 553 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 3 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661711 |