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9789380661513 619c918b94ad943902759c24 कीर्ति मंदिर - हिन्दी व अंग्रेजी (द्विभाषी) https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61a5fd5ae9e638d0e4644ca9/kirti-mandir.jpg

जगद्वंद्य जगद् उद्धारक जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने विश्व कल्याण हेतु अपना रोम रोम समर्पित कर दिया। कलियुग के अनुरूप भक्तियोग प्राधान्य वेदमार्ग प्रतिष्ठापित करने के लिए उन्होंने अनेक उपाय अपनाये।

संकीर्तन, प्रवचन, साहित्य, देश-विदेश में भ्रमण के अतिरिक्त उन्होंने भक्ति मन्दिर, प्रेम मन्दिर जैसे भव्यातिभव्य मन्दिरों का निर्माण कराकर भारतीय धर्म संस्कृति को पुनर्जीवन प्रदान किया, जिससे आने वाले घोर संसारासक्त मन्द से मन्द बुद्धि जीव भी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकें। पश्चात् कीर्ति मन्दिर का निर्माण कार्य सन् 2007 में प्रारम्भ कराया जो उनकी असीम अनुकम्पा से उनकी तीनों सुपुत्रियों के दृढ़ संकल्प, गुरु-निष्ठा, गुरु-भक्ति, गुरु-सेवा के परिणाम स्वरूप 12 वर्षों में पूर्ण हो गया। यह एक अद्वितीय ऐतिहासिक मन्दिर है, जो महाभाव स्वरूपिणी प्रेम तत्व की सार श्रीराधारानी की भक्ति के साथ-साथ कीर्ति मैया, जिन्हें उनके मातृत्व का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ, उनके वात्सल्य भाव की चरम सीमा को भी प्रकाशित करता है।

Kirti Mandir
in stockINR 610
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कीर्ति मंदिर - हिन्दी व अंग्रेजी (द्विभाषी)

कीर्ति मंदिर - हिन्दी व अंग्रेजी (द्विभाषी)

कीर्ति मंदिर के कुछ ऐतिहासिक पल......
भाषा - हिंदी अंग्रेजी (द्विभाषी)

₹610
₹700   (13%छूट)


विशेषताएं
  • घर बैठे ही कीर्ति मंदिर का सम्पूर्ण दर्शन।
  • कीर्ति कुमारी श्री राधेरानी की महिमा।
  • कीर्ति मंदिर के उद्घाटन का सम्पूर्ण वृत्तांत मनोहारी चित्रण के साथ।
  • कीर्ति मंदिर के उद्घाटन की कुछ स्वर्णिम स्मृतियाँ।
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगद्वंद्य जगद् उद्धारक जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने विश्व कल्याण हेतु अपना रोम रोम समर्पित कर दिया। कलियुग के अनुरूप भक्तियोग प्राधान्य वेदमार्ग प्रतिष्ठापित करने के लिए उन्होंने अनेक उपाय अपनाये।

संकीर्तन, प्रवचन, साहित्य, देश-विदेश में भ्रमण के अतिरिक्त उन्होंने भक्ति मन्दिर, प्रेम मन्दिर जैसे भव्यातिभव्य मन्दिरों का निर्माण कराकर भारतीय धर्म संस्कृति को पुनर्जीवन प्रदान किया, जिससे आने वाले घोर संसारासक्त मन्द से मन्द बुद्धि जीव भी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकें। पश्चात् कीर्ति मन्दिर का निर्माण कार्य सन् 2007 में प्रारम्भ कराया जो उनकी असीम अनुकम्पा से उनकी तीनों सुपुत्रियों के दृढ़ संकल्प, गुरु-निष्ठा, गुरु-भक्ति, गुरु-सेवा के परिणाम स्वरूप 12 वर्षों में पूर्ण हो गया। यह एक अद्वितीय ऐतिहासिक मन्दिर है, जो महाभाव स्वरूपिणी प्रेम तत्व की सार श्रीराधारानी की भक्ति के साथ-साथ कीर्ति मैया, जिन्हें उनके मातृत्व का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ, उनके वात्सल्य भाव की चरम सीमा को भी प्रकाशित करता है।

विशेष विवरण

भाषाद्विभाषी, हिंदी, अंग्रेजी
शैली / रचना-पद्धतिस्मारिका
फॉर्मेटकॉफी टेबल बुक
वर्गीकरणविशेष
लेखकराधा गोविंद समिति
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या208
वजन (ग्राम)916
आकार23 सेमी X 28.5 सेमी X 1.9 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789380661513

पाठकों के रिव्यू

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1 समीक्षा

Very beautiful pictures and very nice information.
प्रमाणित उपयोगकर्ता
Dec 27, 2023 10:22:25 PM