जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज आध्यात्मिक साधक को श्री राधा कृष्ण के निष्काम प्रेम की सर्वश्रेष्ठ महापुरुष, महासखियों, से परिचित कराते हैं। प्रत्येक सखी के रूप, आभूषण और वस्त्रों की अलौकिक सुंदरता, एवं प्रत्येक की युगल सरकार के प्रति निर्धारित सेवाएं, जो युगल सरकार की प्रेम लीलाओं में सहायक बनती हैं। महसाखियों का स्थान इतना ऊँचा है कि श्री कृपालु जी ने इन सखियों के स्वरुप भारत में अपने तीनों मंदिरों में स्थापित की: भक्ति मंदिर, कृपालु धाम मनगढ़, प्रेम मंदिर, जगदगुरु कृपालु धाम, वृंदावन, और कीर्ति मंदिर, रंगीली महल, बरसाना धाम। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह तेरहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।