जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के रोम रोम में राधा कृष्ण के दिव्य प्रेमामृत का सिन्धु समाया हुआ है। श्री महाराज जी के दिव्य प्रेम रस से सराबोर हृदय की मधुर मधुर झनकारें उनके द्वारा रचित सहस्त्रों भक्ति रचनाओं में प्रतिध्वनित होती हैं। इन रचनाओं का प्रत्येक छन्द रस के सिन्धु की भाँति भक्ति की तन्मयता से तरंगित है। इन अनमोल गीतों को पढ़कर हृदय स्वत: ही आनन्द, प्रेम एवं दिव्य ब्रजरस में निमज्जित हो उठता है।
इस पुस्तक में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के इन मूल ग्रन्थों से मनोहारी श्यामसुन्दर के मनमोहक कीर्तनों का संग्रह किया गया है।
Mere Nandanandana - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के रोम रोम में राधा कृष्ण के दिव्य प्रेमामृत का सिन्धु समाया हुआ है। श्री महाराज जी के दिव्य प्रेम रस से सराबोर हृदय की मधुर मधुर झनकारें उनके द्वारा रचित सहस्त्रों भक्ति रचनाओं में प्रतिध्वनित होती हैं। इन रचनाओं का प्रत्येक छन्द रस के सिन्धु की भाँति भक्ति की तन्मयता से तरंगित है। इन अनमोल गीतों को पढ़कर हृदय स्वत: ही आनन्द, प्रेम एवं दिव्य ब्रजरस में निमज्जित हो उठता है।
इस पुस्तक में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के इन मूल ग्रन्थों से मनोहारी श्यामसुन्दर के मनमोहक कीर्तनों का संग्रह किया गया है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | छोटी किताब, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकीर्तन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 108 |
वजन (ग्राम) | 116 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.8 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9788194238607 |