नारद जी भक्ति के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इन्होंने भक्ति सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय ज्ञान चौरासी सूत्रों के रूप में प्रकट किया है, जो ‘नारद भक्ति दर्शन’ के नाम से विख्यात है- किन्तु उनकी व्याख्या करना साधारण बुद्धि के द्वारा सम्भव नहीं है। कोई श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष ही उनकी दिव्य वाणी का सही सही अर्थ समझ सकता है।
भगवद् रसिक रसिक की बातें।
रसिक बिना कोऊ समुझ सकै ना।
श्री महाराज जी द्वारा भक्ति धाम मनगढ़ में अक्टूबर 1990 में ग्यारह प्रवचनों के रूप में इन सूत्रों की जो व्याख्या की गई है वह विलक्षण ही है। इस प्रवचन शृंखला में श्री महाराज जी ने इतना अधिक तत्त्व ज्ञान भर दिया है कि भक्तिमार्गीय किसी भी साधक के लिए इससे अधिक और कुछ सुनने समझने की आवश्यकता ही नहीं है। यद्यपि इन सूत्रों में नारद जी ने सिद्धा भक्ति के स्वरूप का निरूपण किया हैं, किन्तु श्री महाराज जी ने इस प्रकार से व्याख्या की है कि साधना भक्ति-श्रवण, कीर्तन, स्मरण का स्वरूप भी पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है। यानी सिद्धा भक्ति अर्थात् दिव्य प्रेम प्राप्ति का पात्र कैसे तैयार किया जाय, इसका भी वर्णन इतने सरल एवं सरस ढंग से किया गया है कि जनसाधारण भी हृदयंगम कर सकता है- कुछ श्रोताओं ने तो यहाँ तक लिख कर भेजा है कि सम्भवतया नारद जी स्वयं भी इन सब सूत्रों की व्याख्या करते तो इतनी सुन्दर व्याख्या न कर पाते।
आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि आपके हाथ में है। जितना लाभ लेना चाहें ले सकते हैं।
Narad Bhakti Darshan - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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नारद जी भक्ति के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इन्होंने भक्ति सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय ज्ञान चौरासी सूत्रों के रूप में प्रकट किया है, जो ‘नारद भक्ति दर्शन’ के नाम से विख्यात है- किन्तु उनकी व्याख्या करना साधारण बुद्धि के द्वारा सम्भव नहीं है। कोई श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष ही उनकी दिव्य वाणी का सही सही अर्थ समझ सकता है।
भगवद् रसिक रसिक की बातें।
रसिक बिना कोऊ समुझ सकै ना।
श्री महाराज जी द्वारा भक्ति धाम मनगढ़ में अक्टूबर 1990 में ग्यारह प्रवचनों के रूप में इन सूत्रों की जो व्याख्या की गई है वह विलक्षण ही है। इस प्रवचन शृंखला में श्री महाराज जी ने इतना अधिक तत्त्व ज्ञान भर दिया है कि भक्तिमार्गीय किसी भी साधक के लिए इससे अधिक और कुछ सुनने समझने की आवश्यकता ही नहीं है। यद्यपि इन सूत्रों में नारद जी ने सिद्धा भक्ति के स्वरूप का निरूपण किया हैं, किन्तु श्री महाराज जी ने इस प्रकार से व्याख्या की है कि साधना भक्ति-श्रवण, कीर्तन, स्मरण का स्वरूप भी पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है। यानी सिद्धा भक्ति अर्थात् दिव्य प्रेम प्राप्ति का पात्र कैसे तैयार किया जाय, इसका भी वर्णन इतने सरल एवं सरस ढंग से किया गया है कि जनसाधारण भी हृदयंगम कर सकता है- कुछ श्रोताओं ने तो यहाँ तक लिख कर भेजा है कि सम्भवतया नारद जी स्वयं भी इन सब सूत्रों की व्याख्या करते तो इतनी सुन्दर व्याख्या न कर पाते।
आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि आपके हाथ में है। जितना लाभ लेना चाहें ले सकते हैं।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | अपने वेदों और शास्त्रों को जानें, निष्काम प्रेम, जीवन परिवर्तनकारी, तत्वज्ञान, अनन्यता, निष्कामता, रागानुगा भक्ति, शरणागति, भक्तियोग, नवधा भक्ति, अध्यात्म के मूल सिद्धांत |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 289 |
वजन (ग्राम) | 356 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 1.6 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661148 |
fabulous.Oct 21, 2024 1:32:41 PM
An excellent book for all sadhaks, it teaches us about what bhakti is and how we can practice it in our normal life. It covers almost every aspect of bhakti and give you basic knowledge about spirituality. It'll help everyone in their spiritual journey. A MUST READ FOR EVERYONE. Radhe Radhe 🪷♥️Sep 14, 2024 7:34:04 AM