यह 22 पदों का संग्रह श्री राधा कृष्ण के सौंदर्य, कृपा एवं दया का उदहारण प्रकट करता है। जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित पद अत्यंत भावनात्मक, पवित्र और मधुर हैं। प्रेम और विनम्रता से भरे यह पद मन को स्वतः ही रूपध्यान में विलीन कर देते हैं। यहाँ श्री कृपालु जी द्वारा सबसे अधिक गाए गए पद हैं , जैसे "अपनापन रखना मेरे घनश्याम", "अलबेलो हमारो यार प्रेम के बंधन में", और "श्री राधे जू हमारी सरकार फिकीर मोहिं काहे कि". भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह इक्कीसवाँ एवं अंतिम अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।