सभी साधकों का पुन: पुन: प्रेमाग्रह रहता है कि श्री महाराज जी द्वारा दिये गये प्रवचन पुस्तक रूप में भी प्रकाशित किये जायें, जिससे विषय हृदयंगम करने में सुविधा हो किन्तु यह तो असम्भव ही है क्योंकि उनके द्वारा दिये गये प्रवचनों की सूची ही अपने आपमें एक वृहद् ग्रन्थ है। फिर भी सामर्थ्यानुसार कुछ प्रवचन शृंखलायें प्रकाशित की जा रही हैं। उनके द्वारा विरचित ‘प्रेम रस मदिरा’ ग्रन्थ का प्रत्येक पद ही गागर में सागर है। उसमें छिपे गूढ़ शास्त्रीय रहस्यों को अलौकिक प्रतिभा सम्पन्न ही समझ सकता है। अकारण करुण गुरुवर ने अपने श्री मुख से कुछ पदों की व्याख्या समय समय पर की है। जो भववत्प्रेमीपिपासुओं के लिए अनमोल निधि है।
उनके द्वारा ‘प्रेम रस मदिरा’ के पद - प्राणधन जीवन कुंज बिहारी। (प्रेम रस मदिरा- 3.64) की व्याख्या सन् 1981 में दस प्रवचनों में की है। यह प्रवचन शृंखला पुस्तक के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसमें श्री महाराज जी ने साधना का स्वरूप शरणागति का रहस्य, शरणागति में बाधा इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला है।
Prandhan Jivan Kunj Bihari - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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सभी साधकों का पुन: पुन: प्रेमाग्रह रहता है कि श्री महाराज जी द्वारा दिये गये प्रवचन पुस्तक रूप में भी प्रकाशित किये जायें, जिससे विषय हृदयंगम करने में सुविधा हो किन्तु यह तो असम्भव ही है क्योंकि उनके द्वारा दिये गये प्रवचनों की सूची ही अपने आपमें एक वृहद् ग्रन्थ है। फिर भी सामर्थ्यानुसार कुछ प्रवचन शृंखलायें प्रकाशित की जा रही हैं। उनके द्वारा विरचित ‘प्रेम रस मदिरा’ ग्रन्थ का प्रत्येक पद ही गागर में सागर है। उसमें छिपे गूढ़ शास्त्रीय रहस्यों को अलौकिक प्रतिभा सम्पन्न ही समझ सकता है। अकारण करुण गुरुवर ने अपने श्री मुख से कुछ पदों की व्याख्या समय समय पर की है। जो भववत्प्रेमीपिपासुओं के लिए अनमोल निधि है।
उनके द्वारा ‘प्रेम रस मदिरा’ के पद - प्राणधन जीवन कुंज बिहारी। (प्रेम रस मदिरा- 3.64) की व्याख्या सन् 1981 में दस प्रवचनों में की है। यह प्रवचन शृंखला पुस्तक के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसमें श्री महाराज जी ने साधना का स्वरूप शरणागति का रहस्य, शरणागति में बाधा इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | निष्काम प्रेम, जीवन परिवर्तनकारी, कृष्ण भक्ति, तत्वज्ञान, निष्कामता, शरणागति |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 248 |
वजन (ग्राम) | 304 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 1.6 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661766 |