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9789380661766 619c9171a3460945dfe57cb1 प्राणधन जीवन कुंज बिहारी - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/64aa38b2eb7c9e02ab191a43/prandhan-jeevan.jpg

सभी साधकों का पुन: पुन: प्रेमाग्रह रहता है कि श्री महाराज जी द्वारा दिये गये प्रवचन पुस्तक रूप में भी प्रकाशित किये जायें, जिससे विषय हृदयंगम करने में सुविधा हो किन्तु यह तो असम्भव ही है क्योंकि उनके द्वारा दिये गये प्रवचनों की सूची ही अपने आपमें एक वृहद् ग्रन्थ है। फिर भी सामर्थ्यानुसार कुछ प्रवचन शृंखलायें प्रकाशित की जा रही हैं। उनके द्वारा विरचित ‘प्रेम रस मदिरा’ ग्रन्थ का प्रत्येक पद ही गागर में सागर है। उसमें छिपे गूढ़ शास्त्रीय रहस्यों को अलौकिक प्रतिभा सम्पन्न ही समझ सकता है। अकारण करुण गुरुवर ने अपने श्री मुख से कुछ पदों की व्याख्या समय समय पर की है। जो भववत्प्रेमीपिपासुओं के लिए अनमोल निधि है। 

उनके द्वारा ‘प्रेम रस मदिरा’ के पद - प्राणधन जीवन कुंज बिहारी। (प्रेम रस मदिरा- 3.64) की व्याख्या सन् 1981 में दस प्रवचनों में की है। यह प्रवचन शृंखला पुस्तक के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसमें श्री महाराज जी ने साधना का स्वरूप शरणागति का रहस्य, शरणागति में बाधा इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला है।

Prandhan Jivan Kunj Bihari - Hindi
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प्राणधन जीवन कुंज बिहारी - हिन्दी

प्राणधन जीवन कुंज बिहारी - हिन्दी

एकमात्र कौन है जो हमारा है?
भाषा - हिन्दी

₹259
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विशेषताएं
  • भगवान के साथ हमारा क्या संबंध है? इसकी महत्वपूर्ण व्याख्या
  • दीनता, अहंकार, शरणागति, कामना, भगवत्सेवा, निष्काम प्रेम और ईश्वर-प्राप्त महापुरुष का महत्व जैसे विषयों पर चर्चा
  • महत्वपूर्ण पौराणिक कथाओं का विस्तृत विवरण
  • गीता, वेद, पुराण, उपनिषद और चैतन्य महाप्रभु और रूप गोस्वामी जैसे रसिक संतों के उद्धरण
  • श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित हृदयस्पर्शी प्रार्थना, दिव्य उपदेश और साधना संबंधी निर्देश
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

सभी साधकों का पुन: पुन: प्रेमाग्रह रहता है कि श्री महाराज जी द्वारा दिये गये प्रवचन पुस्तक रूप में भी प्रकाशित किये जायें, जिससे विषय हृदयंगम करने में सुविधा हो किन्तु यह तो असम्भव ही है क्योंकि उनके द्वारा दिये गये प्रवचनों की सूची ही अपने आपमें एक वृहद् ग्रन्थ है। फिर भी सामर्थ्यानुसार कुछ प्रवचन शृंखलायें प्रकाशित की जा रही हैं। उनके द्वारा विरचित ‘प्रेम रस मदिरा’ ग्रन्थ का प्रत्येक पद ही गागर में सागर है। उसमें छिपे गूढ़ शास्त्रीय रहस्यों को अलौकिक प्रतिभा सम्पन्न ही समझ सकता है। अकारण करुण गुरुवर ने अपने श्री मुख से कुछ पदों की व्याख्या समय समय पर की है। जो भववत्प्रेमीपिपासुओं के लिए अनमोल निधि है। 

उनके द्वारा ‘प्रेम रस मदिरा’ के पद - प्राणधन जीवन कुंज बिहारी। (प्रेम रस मदिरा- 3.64) की व्याख्या सन् 1981 में दस प्रवचनों में की है। यह प्रवचन शृंखला पुस्तक के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसमें श्री महाराज जी ने साधना का स्वरूप शरणागति का रहस्य, शरणागति में बाधा इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला है।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
विषयवस्तुनिष्काम प्रेम, जीवन परिवर्तनकारी, कृष्ण भक्ति, तत्वज्ञान, निष्कामता, शरणागति
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणप्रवचन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या248
वजन (ग्राम)304
आकार14 सेमी X 22 सेमी X 1.6 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789380661766

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