प्रत्येक जीव श्रीकृष्ण का नित्यदास है, किन्तु अनादिकाल से इस स्वाभाविक स्वरूप को भूल जाने के कारण माया का आधिपत्य बना हुआ है। परिणामस्वरूप जीव अनन्तानन्त दु:ख पा रहा है।
गुरु निर्दिष्ट साधना द्वारा अन्त:करण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्तियुक्त प्रेम मिलेगा। तब जीव नित्य दासत्व को प्राप्त होगा।
अकारण करुण कृपालु गुरुदेव ने समस्त शास्त्रों-वेदों का सार स्वरूप दैनिक प्रार्थना लिखकर साधकों के लिए साधना का बहुत संक्षिप्त रूप प्रकट कर दिया है। कोई भी साधक अगर पूरे मनोयोग के साथ यह प्रार्थना रूपध्यान युक्त करता है तो वह अपने-आप में दिव्य प्रेम प्राप्ति का सर्वसुलभ साधन है।
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री के विभिन्न प्रवचनों का अंश संकलित किया गया है, जो दैनिक प्रार्थना के प्रत्येक वाक्य का अर्थ भली भाँति स्पष्ट करता है। प्रत्येक साधक के लिए यह पुस्तक परमोपयोगी है क्योंकि इसमें छिपे गूढ़ अर्थ को समझने के बाद प्रार्थना करने से उसका विशेष लाभ अवश्य-अवश्य होगा।
Prem Bhiksham Dehi - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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प्रत्येक जीव श्रीकृष्ण का नित्यदास है, किन्तु अनादिकाल से इस स्वाभाविक स्वरूप को भूल जाने के कारण माया का आधिपत्य बना हुआ है। परिणामस्वरूप जीव अनन्तानन्त दु:ख पा रहा है।
गुरु निर्दिष्ट साधना द्वारा अन्त:करण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्तियुक्त प्रेम मिलेगा। तब जीव नित्य दासत्व को प्राप्त होगा।
अकारण करुण कृपालु गुरुदेव ने समस्त शास्त्रों-वेदों का सार स्वरूप दैनिक प्रार्थना लिखकर साधकों के लिए साधना का बहुत संक्षिप्त रूप प्रकट कर दिया है। कोई भी साधक अगर पूरे मनोयोग के साथ यह प्रार्थना रूपध्यान युक्त करता है तो वह अपने-आप में दिव्य प्रेम प्राप्ति का सर्वसुलभ साधन है।
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री के विभिन्न प्रवचनों का अंश संकलित किया गया है, जो दैनिक प्रार्थना के प्रत्येक वाक्य का अर्थ भली भाँति स्पष्ट करता है। प्रत्येक साधक के लिए यह पुस्तक परमोपयोगी है क्योंकि इसमें छिपे गूढ़ अर्थ को समझने के बाद प्रार्थना करने से उसका विशेष लाभ अवश्य-अवश्य होगा।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 67 |
वजन (ग्राम) | 102 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9788190966153 |