G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
9789390373185 6527c244fa83940978f4a335 प्रेम रस मदिरा - पॉकेट साइज़ - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/65659616416bd3d2092490a0/prem-ras-madira-pocket-size2.jpg

आनंदकंद श्री कृष्णचंद्र को भी क्रीतदास बना लेने वाला उन्हीं का परमांतरंग प्रेम तत्व है तथा यही अन्तिम तत्व है, उसी को लक्ष्य बनाकर प्रेम रस मदिरा ग्रन्थ लिखा गया है। इसमें 1008 पद हैं जिनमें श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन, वेद शास्त्र, पुराणादि सम्मत एवं अनेक महापुरुषों की वाणियों के मतानुसार किया गया है। सगुण-साकार ब्रह्म की सरस लीलाओं का रस वैलक्षण्य विशेषरूपेण श्री कृष्णावतार में ही हुआ है। अत: इन सरस पदों का आधार उसी अवतार की लीलाएँ हैं।

प्रेम रस मदिरा भक्ति रस साहित्य में अद्वितीय है। सम्पूर्ण ग्रन्थ में कहीं भी धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष तथा सकाम भक्ति को किंचित् भी स्थान नहीं दिया गया है।

भक्ति सम्बन्धी शास्त्रीय सिद्धान्तों को अत्यधिक सरल और सरस रूप में प्रस्तुत किया गया है जो सर्वसाधारण के लिये भी बोधगम्य है इसके अतिरिक्त श्री राधाकृष्ण की दास्य, सख्य, वात्सल्य तथा माधुर्य इन चार भावों की लीलाओं का विशद निरूपण है जो वेद, शास्त्र पुराणादि सम्मत है।

इसके द्वारा भगवदचरणानुरागियों साहित्यिकों एवं संगीत प्रेमियों आदि सभी ने अपने-अपने दृष्टिकोण एवं अपनी-अपनी रुचि के अनुसार अपनाकर अपनी-अपनी जिज्ञासा एवं पिपासा शान्त की। रसिकों ने इसे अपनी भाव संवृद्धि सम्बन्धी साधना का अवलम्ब बनाया, साहित्यिकों ने इसमें साहित्यिक समृद्धि को देखा और इसके भाषा सौष्ठव एवं अलंकारों में अपनी तृप्ति पायी। संगीत मर्मज्ञों ने अनेक राग रागिनियों में इसके पदों को बाँधकर रसास्वादन किया एवं कराया।

प्रेम रस मदिरा से ओत प्रोत ‘प्रेम रस मदिरा’ का आज के इस युग में विशेष महत्व है जिससे कलियुग की विभीषिका का सरलता से सामना किया जा सकता है। यह ऐसी मदिरा है जो बेसुध कर देती है। इसके पान करने के पश्चात् युगल दर्शन, युगल प्रेम, युगल सेवा बस यही कामना शेष रह जाती है समस्त सांसारिक कामनायें समाप्त हो जाती हैं।

Madira Pocket Size Hindi
in stockINR 559
1 1
प्रेम रस मदिरा - पॉकेट साइज़ - हिन्दी

प्रेम रस मदिरा - पॉकेट साइज़ - हिन्दी

दिव्य प्रेम का अद्भुत रस
भाषा - हिन्दी

₹559
₹700   (20%छूट)


विशेषताएं
  • जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित 1008 पदों का यह तीव्र भावानुभूति, संगीतात्मकता और वैयक्तिकता से पूर्ण गीतिकाव्य है
  • यह माधुर्य भाव भक्ति परक ग्रंथ हरि-गुरु भक्ति प्रेमियों की अमूल्य निधि है जो संकीर्तन द्वारा रूपध्यान-साधना पथ पर अग्रसर हैं
  • साधक की अलग अलग मनःस्थिति एवं भाव स्थिति के लिए इसमें सिद्धांत, दैन्य, श्री राधा कृष्ण की बाल-लीला, किशोर, निकुंज, मिलन और विरह जैसे भावों पर आधारित पद 21 माधुरियों में विभक्त किए गए हैं
  • संगीत प्रेमियों के लिए इसमें शास्त्रीय राग-रागिनियों पर आधारित, विविध तालों में अनेक सुमधुर पद हैं
  • साहित्यकारों एवं काव्य प्रेमियों के लिए मधुर-सरस बृजभाषा के ये पद, विभिन्न अलंकारों और छंदों से सुसज्जित, एक उत्कृष्ट कवित्वशक्ति, शब्द-चयनता और रसिक विद्वत्ता का श्रेष्ठ उदाहरण हैं
SHARE PRODUCT
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

आनंदकंद श्री कृष्णचंद्र को भी क्रीतदास बना लेने वाला उन्हीं का परमांतरंग प्रेम तत्व है तथा यही अन्तिम तत्व है, उसी को लक्ष्य बनाकर प्रेम रस मदिरा ग्रन्थ लिखा गया है। इसमें 1008 पद हैं जिनमें श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन, वेद शास्त्र, पुराणादि सम्मत एवं अनेक महापुरुषों की वाणियों के मतानुसार किया गया है। सगुण-साकार ब्रह्म की सरस लीलाओं का रस वैलक्षण्य विशेषरूपेण श्री कृष्णावतार में ही हुआ है। अत: इन सरस पदों का आधार उसी अवतार की लीलाएँ हैं।

प्रेम रस मदिरा भक्ति रस साहित्य में अद्वितीय है। सम्पूर्ण ग्रन्थ में कहीं भी धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष तथा सकाम भक्ति को किंचित् भी स्थान नहीं दिया गया है।

भक्ति सम्बन्धी शास्त्रीय सिद्धान्तों को अत्यधिक सरल और सरस रूप में प्रस्तुत किया गया है जो सर्वसाधारण के लिये भी बोधगम्य है इसके अतिरिक्त श्री राधाकृष्ण की दास्य, सख्य, वात्सल्य तथा माधुर्य इन चार भावों की लीलाओं का विशद निरूपण है जो वेद, शास्त्र पुराणादि सम्मत है।

इसके द्वारा भगवदचरणानुरागियों साहित्यिकों एवं संगीत प्रेमियों आदि सभी ने अपने-अपने दृष्टिकोण एवं अपनी-अपनी रुचि के अनुसार अपनाकर अपनी-अपनी जिज्ञासा एवं पिपासा शान्त की। रसिकों ने इसे अपनी भाव संवृद्धि सम्बन्धी साधना का अवलम्ब बनाया, साहित्यिकों ने इसमें साहित्यिक समृद्धि को देखा और इसके भाषा सौष्ठव एवं अलंकारों में अपनी तृप्ति पायी। संगीत मर्मज्ञों ने अनेक राग रागिनियों में इसके पदों को बाँधकर रसास्वादन किया एवं कराया।

प्रेम रस मदिरा से ओत प्रोत ‘प्रेम रस मदिरा’ का आज के इस युग में विशेष महत्व है जिससे कलियुग की विभीषिका का सरलता से सामना किया जा सकता है। यह ऐसी मदिरा है जो बेसुध कर देती है। इसके पान करने के पश्चात् युगल दर्शन, युगल प्रेम, युगल सेवा बस यही कामना शेष रह जाती है समस्त सांसारिक कामनायें समाप्त हो जाती हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन, पद्य / काव्य
विषयवस्तुसर्वोत्कृष्ट रचना, तत्वज्ञान, भक्ति गीत और भजन
फॉर्मेटहार्डकवर
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या486
वजन (ग्राम)212
आकार9 सेमी X 13 सेमी X 2.5 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789390373185

पाठकों के रिव्यू

  0/5