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9788190966160 619c9164855f393769097dab राधा गोविंद गीत - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/619cbc5dd00d858f715c8db8/rgg.png

‘राधा गोविंद गीत’ एक अद्वितीय एवं अनुपमेय ग्रंथ है। समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं अन्यान्य धर्मग्रंथों के सार को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने इतने सरस एवं सरल रूप में प्रस्तुत किया है कि जन साधारण भी उसे हृदयंगम करके वैदिक सिद्धान्तों का ज्ञाता बन सकता है, जो स्वयं अध्ययन करके तो सर्वथा असंभव ही है। भगवत्क्षेत्र संबंधी सभी प्रश्नों का उत्तर इस अनमोल ग्रंथ में निहित है। सिद्धान्त-पक्ष की अभूतपूर्व समन्वयात्मक विवेचना के साथ-साथ लीला-पक्ष का माधुर्य भी ऐसा है कि वज्र हृदय भी भक्ति-रस से ओतप्रोत हो जाय। अधिक क्या कहा जाय, वस्तुत: दैहिक, दैविक, भौतिक तापों में तप रहे कलिमल-ग्रसित जीवों के लिये यह ग्रंथ अनन्त करुणा-वरुणालय स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अपनी अकारण-करुणा के वशीभूत होकर की गई शीतल सुधा-वृष्टि ही है। पाठक जन इस ग्रंथ का अध्ययन करके उपरोक्त बात की यथार्थता का स्वयं अनुभव करेंगे।

Radha Govind Geet - Hindi
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राधा गोविंद गीत - हिन्दी

राधा गोविंद गीत - हिन्दी

शास्त्रों वेदों के अतिगूढ़ ज्ञान का बेजोड़ संग्रह 11111 दोहों के रूप में।
भाषा - हिन्दी

₹910
₹1,200   (24%छूट)


विशेषताएं
  • जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा 19 अध्यायों और 2 खंडों में 11111 काव्यात्मक दोहे।
  • ऐसा वृहद विश्वकोष जिसमें अध्यात्म से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरल भाषा में प्राप्त किया जा सकता है
  • पहले खंड में दैन्य, जीव का लक्ष्य, मानव देह, शरणागति-कृपा, संसार, महापुरुष, कर्म, योग, ज्ञान, और भक्ति पर आधारित दोहे हैं
  • दूसरे खंड में ब्रज धाम, श्री राधा, श्रीराधा कृष्ण, श्री राधा नाम महिमा, अवतार, लीला, सत्संग-कुसंग, संकीर्तन, शमादी परिभाषा से संबंधित दोहे हैं
  • श्री राधाकृष्ण की दिव्य लीलाएँ एवं कर्म, ज्ञान, भक्ति मार्ग तथा शरणागति का स्वरूप और भगवत्कृपा की विस्तृत व्याख्या।
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

‘राधा गोविंद गीत’ एक अद्वितीय एवं अनुपमेय ग्रंथ है। समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं अन्यान्य धर्मग्रंथों के सार को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने इतने सरस एवं सरल रूप में प्रस्तुत किया है कि जन साधारण भी उसे हृदयंगम करके वैदिक सिद्धान्तों का ज्ञाता बन सकता है, जो स्वयं अध्ययन करके तो सर्वथा असंभव ही है। भगवत्क्षेत्र संबंधी सभी प्रश्नों का उत्तर इस अनमोल ग्रंथ में निहित है। सिद्धान्त-पक्ष की अभूतपूर्व समन्वयात्मक विवेचना के साथ-साथ लीला-पक्ष का माधुर्य भी ऐसा है कि वज्र हृदय भी भक्ति-रस से ओतप्रोत हो जाय। अधिक क्या कहा जाय, वस्तुत: दैहिक, दैविक, भौतिक तापों में तप रहे कलिमल-ग्रसित जीवों के लिये यह ग्रंथ अनन्त करुणा-वरुणालय स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अपनी अकारण-करुणा के वशीभूत होकर की गई शीतल सुधा-वृष्टि ही है। पाठक जन इस ग्रंथ का अध्ययन करके उपरोक्त बात की यथार्थता का स्वयं अनुभव करेंगे।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन, दोहे
विषयवस्तुसर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान, ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन का विज्ञान
फॉर्मेटहार्डकवर
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या958
वजन (ग्राम)1333
आकार15 सेमी X 22.5 सेमी X 5.5 सेमी
आई.एस.बी.एन.9788190966160

पाठकों के रिव्यू

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2 रिव्यू

Amazing book singing it will melt stone hearted people.
प्रमाणित उपयोगकर्ता
Oct 4, 2023 6:27:05 AM
Speechless 😍. Each and every composed book by Shree maharaj ji is God creation like Vedas.
KRISHNA PRATAP SINGH
Mar 25, 2022 9:45:00 AM