जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज श्री राधा कृष्ण के दिव्य धाम के विविध पहलुओं की एक झलक प्रदान करते हैं। प्रस्तुत माधुरी में कुछ सबसे लम्बे पद हैं जो श्री महाराज जी ने लिखे हैं। प्रत्येक पद एक मणि के समान है, जो विभिन्न प्रकार की लीलाओं, जैसे रास नृत्य, गोवर्धन पर्वत की धन्यता और बरसाने की कुञ्ज गलियों से बरसते आनंद का अनुभव करवाते हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह बीसवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।