जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने केवल छ: भक्ति गीतों में, अंधकार को दूर करने वाले, अर्थात एक सच्चे सद्गुरु के दिव्य विरद, कृपा, और एक गुरु की अनिवार्यता का सुन्दर वर्णन किया है। सद्गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को अंतःकरण में उतारने से, अज्ञान का अंधकार दूर होता है, और मन आध्यात्मिक ज्ञान के प्रकाश को देख पाता है। जिससे मन को अनंत शांति एवं निरंतर वृद्धि की ओर बढ़ते आनंद का अनुभव होता है। ऐसे सद्गुरु पर ध्यान केंद्रित करने और उनकी शिक्षाओं का श्रद्धापूर्वक पालन करने से, जीव इस अमूल्य मानव जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।
भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह पहला अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।