पुस्तक के नाम से ही पुस्तक का आशय स्पष्ट है। हर साधक को हर समय सावधान रहना है ताकि जो उसने कमाया वह गमाया न जाय। जैसे जब कोई किसी शहर में साइकिल चलाता है- कहाँ जाना है यह भी याद है, पीछे से गाड़ी आ रही है बायें कर लो, बायें मोटर साइकिल जा रही है बीच में रखो, अब खड़ी कर दो भाई अब खतरा ज्यादा है, हर समय सावधान रहते हैं आप। जरा सी आपने गड़बड़ की, लापरवाही की, हुआ एक्सीडैन्ट। आप मर गये या हाथ पैर टूटा फ्रैक्चर हो गया लेकिन वहाँ आप सावधान रहते हैं क्याेंकि उसकी इम्पॉर्टेन्स है आपके मस्तिष्क में और भगवद् विषय का महत्त्व नहीं समझते आप इसलिये वहाँ लापरवाही चल रही है।
श्री महाराज ने कुछ साधकों को व्यक्तिगत रूप से समझाया है कि साधक को किस प्रकार सावधान रहना चाहिये। वही इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है।
यह पुस्तक सभी साधकों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
Sadhak Savdhani - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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पुस्तक के नाम से ही पुस्तक का आशय स्पष्ट है। हर साधक को हर समय सावधान रहना है ताकि जो उसने कमाया वह गमाया न जाय। जैसे जब कोई किसी शहर में साइकिल चलाता है- कहाँ जाना है यह भी याद है, पीछे से गाड़ी आ रही है बायें कर लो, बायें मोटर साइकिल जा रही है बीच में रखो, अब खड़ी कर दो भाई अब खतरा ज्यादा है, हर समय सावधान रहते हैं आप। जरा सी आपने गड़बड़ की, लापरवाही की, हुआ एक्सीडैन्ट। आप मर गये या हाथ पैर टूटा फ्रैक्चर हो गया लेकिन वहाँ आप सावधान रहते हैं क्याेंकि उसकी इम्पॉर्टेन्स है आपके मस्तिष्क में और भगवद् विषय का महत्त्व नहीं समझते आप इसलिये वहाँ लापरवाही चल रही है।
श्री महाराज ने कुछ साधकों को व्यक्तिगत रूप से समझाया है कि साधक को किस प्रकार सावधान रहना चाहिये। वही इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है।
यह पुस्तक सभी साधकों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, प्रैक्टिकल साधना, तनाव और डिप्रेशन रहित जीवन, अभ्यास की शक्ति |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 74 |
वजन (ग्राम) | 74 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9788194238683 |