परम कृपालु, दीनबन्धु गुरुवर के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हुये सभी पाठकों को गुरु पूर्णिमा पर्व की हार्दिक बधाई।
गुरु चरण आश्रय ही हर साधक के जीवन का आधार है। गुरु सेवा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। यही भगवत्प्राप्ति का सरलतम उपाय है। वे साधक अत्यन्त सौभाग्यशाली हैं जो किसी श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हैं उनसे भी अधिक सौभाग्यशाली वे हैं जिन्हें किसी जगद्गुरु का सान्निध्य प्राप्त हुआ। किन्तु जगद्गुरूत्तम का सान्निध्य और मार्ग दर्शन प्राप्त होना यह तो केवल श्रीकृष्ण की असीम अनुकम्पा ही है। और फिर भक्ति धाम (गुरु धाम) में भक्ति-भवन में भक्तिरसामृत का पान करते हुए गुरु पूर्णिमा महोत्सव में सम्मिलित होना दुर्लभतम अवसर है। जो हमको प्राप्त हो रहा है। इसके लिए श्री गुरुवर को कोटि कोटि धन्यवाद।
गुरु महिमा अपरम्पार है, वाणी मूक हो जाती है लेखनी रुक जाती है। वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थों में गुरु तत्त्व का निरूपण किया गया है। और सभी ने एकमत से यही घोषित किया है कि गुरु के उपकारों का कोई अनन्त जन्मों में भी बदला नहीं चुका सकता और गुरु महिमा का गुणगान सरस्वती, बृहस्पति, चतुरानन, पंचानन, सहस्रानन भी नहीं कर सकते, क्योंकि भगवान् स्वयं भक्त (गुरु) के आधीन हो जाते हैं। गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर हम सब गुरु चरणों में तन, मन, धन समर्पित करते हुये आत्मनिरीक्षण करें, पिछले वर्ष से इस गुरुपूर्णिमा तक हमने कितना कमाया और कितना गँवाया।
अरे मन अवसर बीत्यो जात।
Sadhan Sadhya - Guru Poornima 2013प्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
---|
परम कृपालु, दीनबन्धु गुरुवर के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हुये सभी पाठकों को गुरु पूर्णिमा पर्व की हार्दिक बधाई।
गुरु चरण आश्रय ही हर साधक के जीवन का आधार है। गुरु सेवा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। यही भगवत्प्राप्ति का सरलतम उपाय है। वे साधक अत्यन्त सौभाग्यशाली हैं जो किसी श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हैं उनसे भी अधिक सौभाग्यशाली वे हैं जिन्हें किसी जगद्गुरु का सान्निध्य प्राप्त हुआ। किन्तु जगद्गुरूत्तम का सान्निध्य और मार्ग दर्शन प्राप्त होना यह तो केवल श्रीकृष्ण की असीम अनुकम्पा ही है। और फिर भक्ति धाम (गुरु धाम) में भक्ति-भवन में भक्तिरसामृत का पान करते हुए गुरु पूर्णिमा महोत्सव में सम्मिलित होना दुर्लभतम अवसर है। जो हमको प्राप्त हो रहा है। इसके लिए श्री गुरुवर को कोटि कोटि धन्यवाद।
गुरु महिमा अपरम्पार है, वाणी मूक हो जाती है लेखनी रुक जाती है। वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थों में गुरु तत्त्व का निरूपण किया गया है। और सभी ने एकमत से यही घोषित किया है कि गुरु के उपकारों का कोई अनन्त जन्मों में भी बदला नहीं चुका सकता और गुरु महिमा का गुणगान सरस्वती, बृहस्पति, चतुरानन, पंचानन, सहस्रानन भी नहीं कर सकते, क्योंकि भगवान् स्वयं भक्त (गुरु) के आधीन हो जाते हैं। गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर हम सब गुरु चरणों में तन, मन, धन समर्पित करते हुये आत्मनिरीक्षण करें, पिछले वर्ष से इस गुरुपूर्णिमा तक हमने कितना कमाया और कितना गँवाया।
अरे मन अवसर बीत्यो जात।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | आध्यात्मिक पत्रिका |
फॉर्मेट | पत्रिका |
लेखक | परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी |