श्रीराधाकृष्ण भक्ति के मूर्तिमान स्वरूप रसिकवर गुरुवर के श्री चरणों में प्रणाम करते हुये गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी पाठको को हार्दिक बधाई।
वस्तुत: यह पर्व गुरु के अगनित उपकारों के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। उनके एक भी शब्द का मूल्य प्राण देकर भी नहीं चुका सकते। उनकी अकारण करुणा का अनुभव करते हुये उनके सिद्धान्तों का पालन कर सकें अन्यथा हम सब कृतघ्नी ही कहलायेगें। वे आज भी हमारा मार्ग दर्शन उसी प्रकार कर रहे हैं, इसमें किंचित् भी सन्देह नहीं है क्योंकि वे सनातनवैदिकधर्मप्रतिष्ठापनसत्सम्प्रदायपरमाचार्य हैं, भक्तियोगरसावतार हैं।
आज देश में धर्म के नाम पर दम्भियों का बोलबाला है, जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए भोली भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे में सही सही मार्गदर्शन के लिए जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रकट किये गये ज्ञान का पुन: पुन: श्रवण, मनन, निदिध्यासन करें। जिससे वास्तविक गुरु को पहचान सकें और उसके शरणागत होकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हों।
Sadhan Sadhya - Guru Poornima 2016प्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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श्रीराधाकृष्ण भक्ति के मूर्तिमान स्वरूप रसिकवर गुरुवर के श्री चरणों में प्रणाम करते हुये गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी पाठको को हार्दिक बधाई।
वस्तुत: यह पर्व गुरु के अगनित उपकारों के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। उनके एक भी शब्द का मूल्य प्राण देकर भी नहीं चुका सकते। उनकी अकारण करुणा का अनुभव करते हुये उनके सिद्धान्तों का पालन कर सकें अन्यथा हम सब कृतघ्नी ही कहलायेगें। वे आज भी हमारा मार्ग दर्शन उसी प्रकार कर रहे हैं, इसमें किंचित् भी सन्देह नहीं है क्योंकि वे सनातनवैदिकधर्मप्रतिष्ठापनसत्सम्प्रदायपरमाचार्य हैं, भक्तियोगरसावतार हैं।
आज देश में धर्म के नाम पर दम्भियों का बोलबाला है, जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए भोली भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे में सही सही मार्गदर्शन के लिए जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रकट किये गये ज्ञान का पुन: पुन: श्रवण, मनन, निदिध्यासन करें। जिससे वास्तविक गुरु को पहचान सकें और उसके शरणागत होकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हों।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | आध्यात्मिक पत्रिका |
फॉर्मेट | पत्रिका |
लेखक | परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी |