गुरु पूर्णिमा पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक बधाई।
श्री भक्तियोगरसावतार परम प्रिय गुरुवर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हुये सभी साधकों को गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक बधाई।
प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु सेवा, गुरु आज्ञापालन, गुरु शरणागति का सन्देश लेकर आता है। फिर जिन साधकों का गुरु ही नहीं ‘जगद्गुरु’, जगद्गुरु ही नहीं ‘जगद्गुरूत्तम’, जगद्गुरूत्तम ही नहीं, स्वयं श्री राधा कृपा शक्ति ही गुरु रूप धारण करके मार्ग दर्शन करे, उनके सौभाग्य की कहाँ तक सराहना की जाय।
श्री राधारानी गुणगान को विश्वव्यापी बनाकर अनन्त गुणों की खान सद्गुरुदेव की महिमा का बखान कौन कर सकता है। गुरु पूर्णिमा पर्व पर विशेष रूप से सभी साधक चाहते हैं कि उनके विषय में कुछ पढ़ने के लिए मिले, कुछ सुनने के लिए मिले। वस्तुतः दिव्य प्रेम रस स्वरूप श्री गुरुवर के रूप में भगवान् की कृपाशक्ति का ही अवतरण हुआ अतः उनके अलौकिक चरित्र का उनकी कृपा द्वारा ही वर्णन हो सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने श्री राधारानी को ही अपनी स्वामिनी मानते हुये श्री राधा नाम गुणगान का ही दिव्य सन्देश दिया है। जो राधा तत्व पुस्तकों तक ही सीमित था उसे अत्यधिक सरल भाषा में उन्होंने समझाया है।
जोइ राधा सोइ कृष्ण हैँ, इन मेँ भेद न मान।
इक हैँ ह्लादिनी शक्ति अरु, शक्तिमान इक जान॥
(भक्ति शतक)
Sadhan Sadhya - Guru Poornima 2017प्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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गुरु पूर्णिमा पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक बधाई।
श्री भक्तियोगरसावतार परम प्रिय गुरुवर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हुये सभी साधकों को गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक बधाई।
प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु सेवा, गुरु आज्ञापालन, गुरु शरणागति का सन्देश लेकर आता है। फिर जिन साधकों का गुरु ही नहीं ‘जगद्गुरु’, जगद्गुरु ही नहीं ‘जगद्गुरूत्तम’, जगद्गुरूत्तम ही नहीं, स्वयं श्री राधा कृपा शक्ति ही गुरु रूप धारण करके मार्ग दर्शन करे, उनके सौभाग्य की कहाँ तक सराहना की जाय।
श्री राधारानी गुणगान को विश्वव्यापी बनाकर अनन्त गुणों की खान सद्गुरुदेव की महिमा का बखान कौन कर सकता है। गुरु पूर्णिमा पर्व पर विशेष रूप से सभी साधक चाहते हैं कि उनके विषय में कुछ पढ़ने के लिए मिले, कुछ सुनने के लिए मिले। वस्तुतः दिव्य प्रेम रस स्वरूप श्री गुरुवर के रूप में भगवान् की कृपाशक्ति का ही अवतरण हुआ अतः उनके अलौकिक चरित्र का उनकी कृपा द्वारा ही वर्णन हो सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने श्री राधारानी को ही अपनी स्वामिनी मानते हुये श्री राधा नाम गुणगान का ही दिव्य सन्देश दिया है। जो राधा तत्व पुस्तकों तक ही सीमित था उसे अत्यधिक सरल भाषा में उन्होंने समझाया है।
जोइ राधा सोइ कृष्ण हैँ, इन मेँ भेद न मान।
इक हैँ ह्लादिनी शक्ति अरु, शक्तिमान इक जान॥
(भक्ति शतक)
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | आध्यात्मिक पत्रिका |
फॉर्मेट | पत्रिका |
लेखक | परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी |