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65fd132c3cbacb607b80a7f3 साधन साध्य - होली 2024 - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/65fd136afbb86b143d015215/1587.jpg

सभी पाठकों को होली पर्व की हार्दिक बधाई!

जगद्गुरु कृपालु परिषत् की ओर से सभी पाठकों को अयोध्या धाम में भगवान् श्रीराम के नूतन विग्रह प्राण प्रतिष्ठा समारोह की हार्दिक बधाई!

भगवान् की सर्वव्यापकता का दिव्य संदेश एवं भक्त प्रह्लाद के समान निष्काम भक्ति का उपदेश देने वाला यह होली का पर्व इस वर्ष सर्वव्यापक प्रभु श्री राम के साथ भक्ति के विविध रंग लेकर आया है।

साधन साध्य के इस अंक में ‘राम तत्त्व’ पर प्रकाश डाला गया है। समस्त वेदों शास्त्रों में श्री राम को सुप्रीम पावर-ब्रह्म कहा गया है, किन्तु ब्रह्म को जानने के लिये वास्तविक महापुरुष, श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु की आवश्यकता होती है। अतः गुरु शरणागति परमावश्यक है। रामचरितमानस का प्रारम्भ तुलसीदास जी गुरु वन्दना से ही करते हैं। वस्तुतः राम ही श्याम हैं श्याम ही राम हैं।

जगद्गुुरु श्री कृपालु जी महाराज ने ‘राम तत्त्व’ के साथ ही अपने अनेक प्रवचनों में वेद से लेकर रामायण तक सभी धर्म ग्रन्थों के असंख्य प्रमाणों द्वारा ‘राम एवं कृष्ण एक ही हैं’ इस सत्य को सम्पूर्ण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है। उनके द्वारा निर्मित तीनों मन्दिरों (भक्ति मन्दिर, प्रेम मन्दिर एवं कीर्ति मन्दिर) में श्री राधाकृष्ण के साथ ही श्री सीताराम के दिव्य श्री विग्रह भी स्थापित किये गये हैं।

Sadhan Sadhya Holi 2024 Hindi
in stockINR 200
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साधन साध्य - होली 2024 - हिन्दी

साधन साध्य - होली 2024 - हिन्दी

भाषा - हिन्दी

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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

सभी पाठकों को होली पर्व की हार्दिक बधाई!

जगद्गुरु कृपालु परिषत् की ओर से सभी पाठकों को अयोध्या धाम में भगवान् श्रीराम के नूतन विग्रह प्राण प्रतिष्ठा समारोह की हार्दिक बधाई!

भगवान् की सर्वव्यापकता का दिव्य संदेश एवं भक्त प्रह्लाद के समान निष्काम भक्ति का उपदेश देने वाला यह होली का पर्व इस वर्ष सर्वव्यापक प्रभु श्री राम के साथ भक्ति के विविध रंग लेकर आया है।

साधन साध्य के इस अंक में ‘राम तत्त्व’ पर प्रकाश डाला गया है। समस्त वेदों शास्त्रों में श्री राम को सुप्रीम पावर-ब्रह्म कहा गया है, किन्तु ब्रह्म को जानने के लिये वास्तविक महापुरुष, श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु की आवश्यकता होती है। अतः गुरु शरणागति परमावश्यक है। रामचरितमानस का प्रारम्भ तुलसीदास जी गुरु वन्दना से ही करते हैं। वस्तुतः राम ही श्याम हैं श्याम ही राम हैं।

जगद्गुुरु श्री कृपालु जी महाराज ने ‘राम तत्त्व’ के साथ ही अपने अनेक प्रवचनों में वेद से लेकर रामायण तक सभी धर्म ग्रन्थों के असंख्य प्रमाणों द्वारा ‘राम एवं कृष्ण एक ही हैं’ इस सत्य को सम्पूर्ण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है। उनके द्वारा निर्मित तीनों मन्दिरों (भक्ति मन्दिर, प्रेम मन्दिर एवं कीर्ति मन्दिर) में श्री राधाकृष्ण के साथ ही श्री सीताराम के दिव्य श्री विग्रह भी स्थापित किये गये हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिआध्यात्मिक पत्रिका
फॉर्मेटपत्रिका
लेखकराधा गोविंद समिति
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आकार21.5cm X 28cm X 0.6cm
पृष्ठों की संख्या70
वजन (ग्राम)210

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