होली पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक बधाई।
होली का पर्व नये उत्साह, नयी उमंग, नये समाचार लेकर आया है। अद्भुत ऐतिहासिक अभूतपूर्व कीर्ति मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा एवं उद्घाटन समारोह की रँगीली, आनन्ददायिनी खबरों के साथ रँगीली महल वासिनी श्री राधारानी की नित्य निवास स्थली बरसाना धाम की महिमा प्रकट करते हुए कीर्ति मन्दिर की कीर्ति को प्रकाशित कर रहा है।
श्री महाराज जी ने माधुर्य भाव काे, सखी भाव को, सखा भाव को, दास्य भाव को श्री राधाकृष्ण, अष्टमहासखियाँ, सखागण, श्री सीताराम, श्री हनुमान, अनंत परिकर, समस्त जगद्गुरु, रसिक संत आदि को अपने मन्दिरों में स्थान दिया है जो इन भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किन्तु बरसाना धाम में वात्सल्य के सर्वोच्च स्तर को प्रकट करके विश्व को कीर्ति मैया के अलौकिक चरित्र से अवगत कराया, जिन्हें प्रेम तत्व की सार स्वरूपा श्री राधारानी के मातृत्व का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्होंने तैंतालिस लाख बीस हजार वर्ष कठिन तपस्या की। यह विश्व में अनूठा प्रथम मन्दिर है जिसमें श्री राधारानी अपने बाल रूप में कीर्ति मैया की गोद में विराजित हैं। एक ओर श्री सीताराम का मनोहारी स्वरूप है तो दूसरी ओर अनन्त सौन्दर्य माधुर्य युक्त श्री राधेश्याम का।
Sadhan Sadhya - Holi 2019प्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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होली पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक बधाई।
होली का पर्व नये उत्साह, नयी उमंग, नये समाचार लेकर आया है। अद्भुत ऐतिहासिक अभूतपूर्व कीर्ति मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा एवं उद्घाटन समारोह की रँगीली, आनन्ददायिनी खबरों के साथ रँगीली महल वासिनी श्री राधारानी की नित्य निवास स्थली बरसाना धाम की महिमा प्रकट करते हुए कीर्ति मन्दिर की कीर्ति को प्रकाशित कर रहा है।
श्री महाराज जी ने माधुर्य भाव काे, सखी भाव को, सखा भाव को, दास्य भाव को श्री राधाकृष्ण, अष्टमहासखियाँ, सखागण, श्री सीताराम, श्री हनुमान, अनंत परिकर, समस्त जगद्गुरु, रसिक संत आदि को अपने मन्दिरों में स्थान दिया है जो इन भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किन्तु बरसाना धाम में वात्सल्य के सर्वोच्च स्तर को प्रकट करके विश्व को कीर्ति मैया के अलौकिक चरित्र से अवगत कराया, जिन्हें प्रेम तत्व की सार स्वरूपा श्री राधारानी के मातृत्व का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्होंने तैंतालिस लाख बीस हजार वर्ष कठिन तपस्या की। यह विश्व में अनूठा प्रथम मन्दिर है जिसमें श्री राधारानी अपने बाल रूप में कीर्ति मैया की गोद में विराजित हैं। एक ओर श्री सीताराम का मनोहारी स्वरूप है तो दूसरी ओर अनन्त सौन्दर्य माधुर्य युक्त श्री राधेश्याम का।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | आध्यात्मिक पत्रिका |
फॉर्मेट | पत्रिका |
लेखक | परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी |