इस पुस्तक में 12 पद हैं। जिनमें आनन्द कंद सच्चिदानंद श्रीकृष्णचन्द्र के सांगोपांग शास्त्रीय रूपध्यान का दिग्दर्शन कराया गया है। प्रत्येक अंग का सौन्दर्य चित्रण इतना मनोहारी है कि बहुत कम प्रयास से साधक के मानस पटल पर श्री कृष्ण की सजीव झाँकी अंकित हो जाती है। अत: प्रत्येक साधक के लिये परम उपयोगी है।
Shri Krishna Dvadashi - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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इस पुस्तक में 12 पद हैं। जिनमें आनन्द कंद सच्चिदानंद श्रीकृष्णचन्द्र के सांगोपांग शास्त्रीय रूपध्यान का दिग्दर्शन कराया गया है। प्रत्येक अंग का सौन्दर्य चित्रण इतना मनोहारी है कि बहुत कम प्रयास से साधक के मानस पटल पर श्री कृष्ण की सजीव झाँकी अंकित हो जाती है। अत: प्रत्येक साधक के लिये परम उपयोगी है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान, छोटी किताब |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 32 |
वजन (ग्राम) | 103 |
आकार | 22 सेमी X 14.5 सेमी X 0.3 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661049 |
Book certifies that no equals in poetry to shri Maharajji.Oct 4, 2023 6:30:16 AM