अनन्तब्रह्माण्डनायक आनन्दकन्द सच्चिदानन्द श्रीकृष्णचन्द्र भी जिनकी आराधना करते हैं, उन आनन्दकन्द को भी आनन्द प्रदान करने वाली शक्ति, श्रीराधा का निरूपण सर्वथा अनिर्वचनीय है। फिर भी जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने जीव कल्याण हेतु अपने प्रवचनों में और साहित्य में इसका विस्तृत विवेचन किया है। जबकि पूर्ववर्ती किसी भी आचार्य ने इतना विस्तृत वर्णन नहीं किया है।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने श्रीराधा गुणगान, उनके नाम रूप, लीला, धाम, जन के ध्यानयुक्त संकीर्तन का विश्वव्यापी प्रचार करके विश्व का महान उपकार किया है। अपने अनेक प्रवचनों में शास्त्रीय प्रमाण देते हुए उन्होंने श्री राधा को अद्वितीय तत्व बताया है और श्रीकृष्ण को उनका ही दूसरा अपर अभिन्न स्वरूप। प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री द्वारा जो श्री राधा की बाल लीलाओं का वर्णन स्वरचित पद व्याख्याओं द्वारा किया गया है उसका संकलन किया गया है। श्रीराधाकृष्ण भक्तों के लिए एक अमूल्य निधि है।
Shri Radharani Kirti Kumari - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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अनन्तब्रह्माण्डनायक आनन्दकन्द सच्चिदानन्द श्रीकृष्णचन्द्र भी जिनकी आराधना करते हैं, उन आनन्दकन्द को भी आनन्द प्रदान करने वाली शक्ति, श्रीराधा का निरूपण सर्वथा अनिर्वचनीय है। फिर भी जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने जीव कल्याण हेतु अपने प्रवचनों में और साहित्य में इसका विस्तृत विवेचन किया है। जबकि पूर्ववर्ती किसी भी आचार्य ने इतना विस्तृत वर्णन नहीं किया है।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने श्रीराधा गुणगान, उनके नाम रूप, लीला, धाम, जन के ध्यानयुक्त संकीर्तन का विश्वव्यापी प्रचार करके विश्व का महान उपकार किया है। अपने अनेक प्रवचनों में शास्त्रीय प्रमाण देते हुए उन्होंने श्री राधा को अद्वितीय तत्व बताया है और श्रीकृष्ण को उनका ही दूसरा अपर अभिन्न स्वरूप। प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री द्वारा जो श्री राधा की बाल लीलाओं का वर्णन स्वरचित पद व्याख्याओं द्वारा किया गया है उसका संकलन किया गया है। श्रीराधाकृष्ण भक्तों के लिए एक अमूल्य निधि है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, तत्वज्ञान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 96 |
वजन (ग्राम) | 127 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 0.8 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661186 |