ब्रजरस से आप्लावित श्यामा श्याम गीत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की एक ऐसी रचना है, जिसके प्रत्येक दोहे में रस का समुद्र ओतप्रोत है। इस भयानक भवसागर में दैहिक, दैविक, भौतिक दु:ख रूपी लहरों के थपेड़ों से जर्जर हुआ, चारों ओर से स्वार्थी जनों रूपी मगरमच्छों द्वारा निगले जाने के भय से आक्रान्त, अनादिकाल से विशुद्ध प्रेम व आनन्द रूपी तट पर आने के लिये व्याकुल, असहाय जीव के लिये श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति ही सरलतम एवं श्रेष्ठतम मार्ग है। उसी पथ पर जीव को सहज ही आरूढ़ कर देने की शक्ति जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की इस अनुपमेय रसवर्षिणी रचना में है, जिसे आद्योपांत भावपूर्ण हृदय से पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे रस की वृष्टि प्रत्येक दोहे के साथ तीव्रतर होती हुई अंत में मूसलाधार वृष्टि में परिवर्तित हो गई हो। श्रीराधाकृष्ण की अनेक मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन हृदय को सहज ही श्यामा श्याम के प्रेम से सराबोर कर देता है। अधिक क्या कहा जाय, ‘श्यामा श्याम गीत’ सरल भाषा, मधुुरतम भाव व गेय पदावली की एक ऐसी त्रिवेणी है, जिसमें अवगाहन करके ही भावुक महानुभाव इसकी लोकोत्तर रमणीयता का यत्किंचित् रसास्वादन एवं जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के ‘भक्तियोगरसावतार’ स्वरूप की एक झलक प्राप्त कर सकेंगे।
Shyama Shyam Geet Pocket Size - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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ब्रजरस से आप्लावित श्यामा श्याम गीत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की एक ऐसी रचना है, जिसके प्रत्येक दोहे में रस का समुद्र ओतप्रोत है। इस भयानक भवसागर में दैहिक, दैविक, भौतिक दु:ख रूपी लहरों के थपेड़ों से जर्जर हुआ, चारों ओर से स्वार्थी जनों रूपी मगरमच्छों द्वारा निगले जाने के भय से आक्रान्त, अनादिकाल से विशुद्ध प्रेम व आनन्द रूपी तट पर आने के लिये व्याकुल, असहाय जीव के लिये श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति ही सरलतम एवं श्रेष्ठतम मार्ग है। उसी पथ पर जीव को सहज ही आरूढ़ कर देने की शक्ति जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की इस अनुपमेय रसवर्षिणी रचना में है, जिसे आद्योपांत भावपूर्ण हृदय से पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे रस की वृष्टि प्रत्येक दोहे के साथ तीव्रतर होती हुई अंत में मूसलाधार वृष्टि में परिवर्तित हो गई हो। श्रीराधाकृष्ण की अनेक मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन हृदय को सहज ही श्यामा श्याम के प्रेम से सराबोर कर देता है। अधिक क्या कहा जाय, ‘श्यामा श्याम गीत’ सरल भाषा, मधुुरतम भाव व गेय पदावली की एक ऐसी त्रिवेणी है, जिसमें अवगाहन करके ही भावुक महानुभाव इसकी लोकोत्तर रमणीयता का यत्किंचित् रसास्वादन एवं जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के ‘भक्तियोगरसावतार’ स्वरूप की एक झलक प्राप्त कर सकेंगे।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन, दोहे |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, तत्वज्ञान, भक्ति गीत और भजन, छोटी किताब |
फॉर्मेट | पॉकेट साइज |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 127 |
वजन (ग्राम) | 85 |
आकार | 10 सेमी X 14 सेमी X 1 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661438 |
Radhe RadheJan 13, 2024 11:09:00 AM