जगद्गुरु श्रीकृपालु जी महाराज द्वारा रचित ‘युगल माधुरी’ पुस्तक में संकलित इस पद में सारे शास्त्रों, वेदों एवं पुराणों का सार है अर्थात् इतने को अगर कोई समझ ले और प्रैक्टिकल कर ले, तो उसे न कुछ पढ़ना है, न सुनना है, न समझना है, न करना है। गागर में सागर है।
भक्ति-धाम मनगढ़ में आयोजित वार्षिक साधना शिविर में श्री गुरुदेव के श्रीमुख से इस पद की विस्तृत व्याख्या नवम्बर 2002 में (15-11-2002 से 19-11-2002) की गई थी।
इस पुस्तक में यह व्याख्या यथार्थ रूप में ही प्रकाशित की जा रही है। अंग्रेजी के शब्दों का भी हिन्दी में अनुवाद नहीं किया गया है। यह प्रवचन शृंखला सभी कक्षा के साधकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
भक्ति-सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय-ज्ञान इस पद में समाहित है। इससे अधिक तत्त्वज्ञान की आवश्यकता ही नहीं।
Sunahu Sadhak Pyare - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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जगद्गुरु श्रीकृपालु जी महाराज द्वारा रचित ‘युगल माधुरी’ पुस्तक में संकलित इस पद में सारे शास्त्रों, वेदों एवं पुराणों का सार है अर्थात् इतने को अगर कोई समझ ले और प्रैक्टिकल कर ले, तो उसे न कुछ पढ़ना है, न सुनना है, न समझना है, न करना है। गागर में सागर है।
भक्ति-धाम मनगढ़ में आयोजित वार्षिक साधना शिविर में श्री गुरुदेव के श्रीमुख से इस पद की विस्तृत व्याख्या नवम्बर 2002 में (15-11-2002 से 19-11-2002) की गई थी।
इस पुस्तक में यह व्याख्या यथार्थ रूप में ही प्रकाशित की जा रही है। अंग्रेजी के शब्दों का भी हिन्दी में अनुवाद नहीं किया गया है। यह प्रवचन शृंखला सभी कक्षा के साधकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
भक्ति-सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय-ज्ञान इस पद में समाहित है। इससे अधिक तत्त्वज्ञान की आवश्यकता ही नहीं।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, प्रैक्टिकल साधना, तनाव और डिप्रेशन रहित जीवन, अभ्यास की शक्ति |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 113 |
वजन (ग्राम) | 149 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 0.8 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661971 |