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6505a0c431a8916c6c976063 विरह माधुरी: 19वां अध्याय- प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6505a0c531a8916c6c976091/19.jpg जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज इन 214 अद्भुत पदों में श्री कृष्ण के भक्तों की ह्रदय विदारक अनंत पीड़ा का विवेचन करते हैं, जो उन्हें श्री कृष्ण के वियोग में होती है।विरह की उस स्थिति में तड़पते भक्तो को देख ह्रदय काँप उठता है, परंतु आध्यात्मिक सिद्धांत के ज्ञानी यह जानते हैं की भगवान् का विरह एक भक्त के लिए सभी आध्यात्मिक धनों में सर्वमूल्य हैं। ये पद हमें यह प्रत्यक्ष दिखा रहे हैं कि यदि किसी जीव को सर्वोच्च कक्षा का प्रेम और आनंद प्राप्त करना है तो उसे किस स्तर की विरहाग्नि में स्वयं को तपाना होगा। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह उन्नीसवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं। PRM Hindi ebook Ch 19
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विरह माधुरी: 19वां अध्याय- प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

विरह माधुरी: 19वां अध्याय- प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

भाषा - हिन्दी



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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज इन 214 अद्भुत पदों में श्री कृष्ण के भक्तों की ह्रदय विदारक अनंत पीड़ा का विवेचन करते हैं, जो उन्हें श्री कृष्ण के वियोग में होती है।विरह की उस स्थिति में तड़पते भक्तो को देख ह्रदय काँप उठता है, परंतु आध्यात्मिक सिद्धांत के ज्ञानी यह जानते हैं की भगवान् का विरह एक भक्त के लिए सभी आध्यात्मिक धनों में सर्वमूल्य हैं। ये पद हमें यह प्रत्यक्ष दिखा रहे हैं कि यदि किसी जीव को सर्वोच्च कक्षा का प्रेम और आनंद प्राप्त करना है तो उसे किस स्तर की विरहाग्नि में स्वयं को तपाना होगा। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह उन्नीसवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति

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