ब्रजरस से ओतप्रोत ‘युगल माधुरी’ श्यामा-श्याम संकीर्तन संग्रह है। ब्रजरसिकों ने जिस श्री राधा-कृष्ण प्रेम माधुरी का वर्णन अपने साहित्य में किया है उसी दिव्य प्रेम रस को श्री महाराज जी ने अपने कीर्तनों में पूर्ण रूपेण समाविष्ट कर दिया है जिसका श्रवण, मनन व कीर्तन भावुक भक्तों के हृदयों को श्यामा-श्याम की प्रेम रस माधुरी से परिप्लुत कर देता है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि संकीर्तनों में ब्रजरस का सिद्धान्त पक्ष भी है और लीला पक्ष भी है। श्री कृष्ण तत्व, श्री राधा तत्व, भक्ति तत्व तथा गुरुतत्व जैसे गंभीर विषयों का निरूपण अत्यधिक सरसता से किया गया है।
Yugal Madhuri - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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ब्रजरस से ओतप्रोत ‘युगल माधुरी’ श्यामा-श्याम संकीर्तन संग्रह है। ब्रजरसिकों ने जिस श्री राधा-कृष्ण प्रेम माधुरी का वर्णन अपने साहित्य में किया है उसी दिव्य प्रेम रस को श्री महाराज जी ने अपने कीर्तनों में पूर्ण रूपेण समाविष्ट कर दिया है जिसका श्रवण, मनन व कीर्तन भावुक भक्तों के हृदयों को श्यामा-श्याम की प्रेम रस माधुरी से परिप्लुत कर देता है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि संकीर्तनों में ब्रजरस का सिद्धान्त पक्ष भी है और लीला पक्ष भी है। श्री कृष्ण तत्व, श्री राधा तत्व, भक्ति तत्व तथा गुरुतत्व जैसे गंभीर विषयों का निरूपण अत्यधिक सरसता से किया गया है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 221 |
वजन (ग्राम) | 204 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 1.4 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9788190966184 |