जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुसार जीव का चरम लक्ष्य श्री कृष्ण का माधुर्य भाव युक्त निष्काम प्रेम प्राप्ति है तदर्थ श्रवण, कीर्तन और स्मरण तीन प्रकार की भक्ति का अभ्यास करना है। इन तीनों साधनों में भी स्मरण प्रमुख है। अतएव आचार्य श्री येन केन प्रकारेण तत्वज्ञान साधकों के मस्तिष्क में भरने के लिए परमव्याकुल रहते हैं जिससे उनकी प्रेम पिपासा उत्तरोत्तर तीव्र तीव्रतर तीव्रतम हो जाय। एतदर्थ नित्य नवीन नवीन रचनाओं की अमूल्य निधि देकर आचार्य श्री दुर्लभ युगल रस का वितरण कर रहे हैं।
पुस्तक ‘युगल-रस’ में १०० पदों का संकलन किया गया है। दिव्य प्रेम से ओतप्रोत पदों में भक्ति संबंधी शास्त्रीय सिद्धांतों का निरूपण अत्यधिक सरस और रोचक है, सर्वसाधारण के लिये ग्राह्य है। इसके अतिरिक्त दैन्य, शृंगार और लीला संबंधी पद भी हैं।
पाठक पढ़ने के बाद स्वयं ही अनुभव करेंगे कि वह ऐसे फल का आस्वादन कर रहे हैं जिसमें न गुठली है, न गूदा है। बस, रस ही रस है, पीने वाला होना चाहिये।
Yugal Ras - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुसार जीव का चरम लक्ष्य श्री कृष्ण का माधुर्य भाव युक्त निष्काम प्रेम प्राप्ति है तदर्थ श्रवण, कीर्तन और स्मरण तीन प्रकार की भक्ति का अभ्यास करना है। इन तीनों साधनों में भी स्मरण प्रमुख है। अतएव आचार्य श्री येन केन प्रकारेण तत्वज्ञान साधकों के मस्तिष्क में भरने के लिए परमव्याकुल रहते हैं जिससे उनकी प्रेम पिपासा उत्तरोत्तर तीव्र तीव्रतर तीव्रतम हो जाय। एतदर्थ नित्य नवीन नवीन रचनाओं की अमूल्य निधि देकर आचार्य श्री दुर्लभ युगल रस का वितरण कर रहे हैं।
पुस्तक ‘युगल-रस’ में १०० पदों का संकलन किया गया है। दिव्य प्रेम से ओतप्रोत पदों में भक्ति संबंधी शास्त्रीय सिद्धांतों का निरूपण अत्यधिक सरस और रोचक है, सर्वसाधारण के लिये ग्राह्य है। इसके अतिरिक्त दैन्य, शृंगार और लीला संबंधी पद भी हैं।
पाठक पढ़ने के बाद स्वयं ही अनुभव करेंगे कि वह ऐसे फल का आस्वादन कर रहे हैं जिसमें न गुठली है, न गूदा है। बस, रस ही रस है, पीने वाला होना चाहिये।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 196 |
वजन (ग्राम) | 326 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 1.5 सेमी |
This book is divine! The sankirtan are written with the best poetry ever, very devotional when chanted. The first bhajans give knowledge to understand the lilas of Yugal Sarkar, and then the lilas described are unique. Thank youAug 27, 2023 10:25:01 AM
This book is treasure of yugal ras and best for roopdhyan.Mar 1, 2023 11:43:30 AM