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जे के पी लिटरेचर
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9789380661148 619c916f855f393769097f8c नारद भक्ति दर्शन - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/64aa393deb7c9e02ab193061/012-audiobook-mockup-covervault.jpg

नारद जी भक्ति के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इन्होंने भक्ति सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय ज्ञान चौरासी सूत्रों के रूप में प्रकट किया है, जो ‘नारद भक्ति दर्शन’ के नाम से विख्यात है- किन्तु उनकी व्याख्या करना साधारण बुद्धि के द्वारा सम्भव नहीं है। कोई श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष ही उनकी दिव्य वाणी का सही सही अर्थ समझ सकता है।

भगवद् रसिक रसिक की बातें।
रसिक बिना कोऊ समुझ सकै ना।

श्री महाराज जी द्वारा भक्ति धाम मनगढ़ में अक्टूबर 1990 में ग्यारह प्रवचनों के रूप में इन सूत्रों की जो व्याख्या की गई है वह विलक्षण ही है। इस प्रवचन शृंखला में श्री महाराज जी ने इतना अधिक तत्त्व ज्ञान भर दिया है कि भक्तिमार्गीय किसी भी साधक के लिए इससे अधिक और कुछ सुनने समझने की आवश्यकता ही नहीं है। यद्यपि इन सूत्रों में नारद जी ने सिद्धा भक्ति के स्वरूप का निरूपण किया हैं, किन्तु श्री महाराज जी ने इस प्रकार से व्याख्या की है कि साधना भक्ति-श्रवण, कीर्तन, स्मरण का स्वरूप भी पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है। यानी सिद्धा भक्ति अर्थात् दिव्य प्रेम प्राप्ति का पात्र कैसे तैयार किया जाय, इसका भी वर्णन इतने सरल एवं सरस ढंग से किया गया है कि जनसाधारण भी हृदयंगम कर सकता है- कुछ श्रोताओं ने तो यहाँ तक लिख कर भेजा है कि सम्भवतया नारद जी स्वयं भी इन सब सूत्रों की व्याख्या करते तो इतनी सुन्दर व्याख्या न कर पाते।

आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि आपके हाथ में है। जितना लाभ लेना चाहें ले सकते हैं।

Narad Bhakti Darshan - Hindi
in stock INR 259
1 1

नारद भक्ति दर्शन - हिन्दी

भक्तिमार्गीय साधक हेतु भक्ति के अति महत्वपूर्ण सूत्र।
भाषा - हिन्दी

₹259
₹450   (42%छूट)


विशेषताएं
  • भक्ति के परमाचार्य महर्षि नारद द्वारा प्रतिपादित 84 नारद-भक्ति-सूत्रों की व्याख्या
  • सरल हिंदी में गहन विश्लेषण
  • हर साधक के लिए अतिआवश्यक भक्ति के प्रमुख सिद्धांत
  • संसार में रहते हुए भक्ति का अभ्यास किस प्रकार किया जाए? इसका प्रैक्टिकल स्पष्टीकरण
  • गीता, भागवत, उपनिषदों, पुराणों और वेदों से भक्ति के संबंध में लिये गये महत्त्वपूर्ण संदर्भ
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विवरण

नारद जी भक्ति के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इन्होंने भक्ति सम्बन्धी समस्त शास्त्रीय ज्ञान चौरासी सूत्रों के रूप में प्रकट किया है, जो ‘नारद भक्ति दर्शन’ के नाम से विख्यात है- किन्तु उनकी व्याख्या करना साधारण बुद्धि के द्वारा सम्भव नहीं है। कोई श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष ही उनकी दिव्य वाणी का सही सही अर्थ समझ सकता है।

भगवद् रसिक रसिक की बातें।
रसिक बिना कोऊ समुझ सकै ना।

श्री महाराज जी द्वारा भक्ति धाम मनगढ़ में अक्टूबर 1990 में ग्यारह प्रवचनों के रूप में इन सूत्रों की जो व्याख्या की गई है वह विलक्षण ही है। इस प्रवचन शृंखला में श्री महाराज जी ने इतना अधिक तत्त्व ज्ञान भर दिया है कि भक्तिमार्गीय किसी भी साधक के लिए इससे अधिक और कुछ सुनने समझने की आवश्यकता ही नहीं है। यद्यपि इन सूत्रों में नारद जी ने सिद्धा भक्ति के स्वरूप का निरूपण किया हैं, किन्तु श्री महाराज जी ने इस प्रकार से व्याख्या की है कि साधना भक्ति-श्रवण, कीर्तन, स्मरण का स्वरूप भी पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है। यानी सिद्धा भक्ति अर्थात् दिव्य प्रेम प्राप्ति का पात्र कैसे तैयार किया जाय, इसका भी वर्णन इतने सरल एवं सरस ढंग से किया गया है कि जनसाधारण भी हृदयंगम कर सकता है- कुछ श्रोताओं ने तो यहाँ तक लिख कर भेजा है कि सम्भवतया नारद जी स्वयं भी इन सब सूत्रों की व्याख्या करते तो इतनी सुन्दर व्याख्या न कर पाते।

आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि आपके हाथ में है। जितना लाभ लेना चाहें ले सकते हैं।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
विषयवस्तु अपने वेदों और शास्त्रों को जानें, निष्काम प्रेम, जीवन परिवर्तनकारी, तत्वज्ञान, अनन्यता, निष्कामता, रागानुगा भक्ति, शरणागति, भक्तियोग, नवधा भक्ति, अध्यात्म के मूल सिद्धांत
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण प्रवचन
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 289
वजन (ग्राम) 356
आकार 14 सेमी X 22 सेमी X 1.6 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789380661148

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