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9788194655343 61e6d27cfdba57638ff8ce2f आत्मा, संसार वैराग्य स्वरूप ईबुक - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61e6dbc3bcb0e4939a04d44e/6.jpg

इन तीनों के बारे में हमारी गलतफहमी हमारे मन को ईश्वर के प्रति समर्पण करने से रोकती है। एक बार जब हमें पता चलता है कि हम एक दैवीय इकाई हैं, और भौतिक सुख हमें कभी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं, तो हम दुनिया से अपने लगाव को ईश्वर के प्रति पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।

Atma, Sansara Vairagya Svarupa - Hindi - Ebook
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आत्मा, संसार वैराग्य स्वरूप ईबुक - हिन्दी

भाषा - हिन्दी



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विवरण

इन तीनों के बारे में हमारी गलतफहमी हमारे मन को ईश्वर के प्रति समर्पण करने से रोकती है। एक बार जब हमें पता चलता है कि हम एक दैवीय इकाई हैं, और भौतिक सुख हमें कभी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं, तो हम दुनिया से अपने लगाव को ईश्वर के प्रति पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
फॉर्मेट ईबुक
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
आई.एस.बी.एन. 9788194655343

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