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6696907cff4a032e95180709 अहंकार और भक्ति - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/669690984c8b662ef82c009e/ahankar-aur-bhakti.jpg

"फ़ील करना है , क्या है हमारे पास, किस चीज़ का अहंकार है। और कितने दिन का हमारा जीवन है? कल का दिन मिले मिले ये मानव देह भी छिन जाये। अरे!कल का भी छोड़ो,अगले क्षण की guarantee नहीं....!!!" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज

अहंकार मनुष्य का महान शत्रु है। यही दुःख, अशांति, टेंशन जैसे मानसिक विकारों को उत्पन्न करता है और ईश्वरीय क्षेत्र में भी यह सबसे बड़ी बाधा है। इसी से मान-अपमान की बीमारी उत्पन्न होती है जिससे हम साधना में आगे बढ़ते-बढ़ते भी नीचे गिर जाते हैं।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अहंकार रूपी शत्रु को हराने के उपाय बताये हैं जो इस पुस्तक में संकलित किये गये हैं। आशा है पाठक इसे पढ़कर अवश्य लाभ लेंगे एवं आचार्य श्री द्वारा दिये गये अनमोल उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।

Ahankar aur Bhakti - Hindi
in stock INR 127
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अहंकार और भक्ति - हिन्दी

सबसे बड़ी बाधा और उसका समाधान
भाषा - हिन्दी

₹127
₹250   (49%छूट)


विशेषताएं
  • आध्यात्मिक मार्ग में अहंकार, एक प्रमुख बाधा, पर प्रकाश डाला गया है
  • अशांति और दुःख का मूल कारण बताया गया है
  • अंतःकरण को शुद्ध करने में भक्ति की अहम भूमिका को हाइलाइट किया गया है।
  • हृदय को शुद्ध करने और ईश्वर के साथ प्रेमपूर्ण, निःस्वार्थ संबंध विकसित करने में भक्ति की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
  • आध्यात्मिक उत्थान के लिए व्यावहारिक, संक्षेप और सरलता से समझ में आने वाला ज्ञान बताया गया है।
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प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

"फ़ील करना है , क्या है हमारे पास, किस चीज़ का अहंकार है। और कितने दिन का हमारा जीवन है? कल का दिन मिले मिले ये मानव देह भी छिन जाये। अरे!कल का भी छोड़ो,अगले क्षण की guarantee नहीं....!!!" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज

अहंकार मनुष्य का महान शत्रु है। यही दुःख, अशांति, टेंशन जैसे मानसिक विकारों को उत्पन्न करता है और ईश्वरीय क्षेत्र में भी यह सबसे बड़ी बाधा है। इसी से मान-अपमान की बीमारी उत्पन्न होती है जिससे हम साधना में आगे बढ़ते-बढ़ते भी नीचे गिर जाते हैं।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अहंकार रूपी शत्रु को हराने के उपाय बताये हैं जो इस पुस्तक में संकलित किये गये हैं। आशा है पाठक इसे पढ़कर अवश्य लाभ लेंगे एवं आचार्य श्री द्वारा दिये गये अनमोल उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
फॉर्मेट पेपरबैक
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
आकार 17.5सेमी X 12सेमी X 0.7सेमी
वजन (ग्राम) 100

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