"फ़ील करना है , क्या है हमारे पास, किस चीज़ का अहंकार है। और कितने दिन का हमारा जीवन है? कल का दिन मिले न मिले ये मानव देह भी छिन जाये। अरे!कल का भी छोड़ो,अगले क्षण की guarantee नहीं....!!!" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
अहंकार मनुष्य का महान शत्रु है। यही दुःख, अशांति, टेंशन जैसे मानसिक विकारों को उत्पन्न करता है और ईश्वरीय क्षेत्र में भी यह सबसे बड़ी बाधा है। इसी से मान-अपमान की बीमारी उत्पन्न होती है जिससे हम साधना में आगे बढ़ते-बढ़ते भी नीचे गिर जाते हैं।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अहंकार रूपी शत्रु को हराने के उपाय बताये हैं जो इस पुस्तक में संकलित किये गये हैं। आशा है पाठक इसे पढ़कर अवश्य लाभ लेंगे एवं आचार्य श्री द्वारा दिये गये अनमोल उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।
Ahankar aur Bhakti - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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"फ़ील करना है , क्या है हमारे पास, किस चीज़ का अहंकार है। और कितने दिन का हमारा जीवन है? कल का दिन मिले न मिले ये मानव देह भी छिन जाये। अरे!कल का भी छोड़ो,अगले क्षण की guarantee नहीं....!!!" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
अहंकार मनुष्य का महान शत्रु है। यही दुःख, अशांति, टेंशन जैसे मानसिक विकारों को उत्पन्न करता है और ईश्वरीय क्षेत्र में भी यह सबसे बड़ी बाधा है। इसी से मान-अपमान की बीमारी उत्पन्न होती है जिससे हम साधना में आगे बढ़ते-बढ़ते भी नीचे गिर जाते हैं।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अहंकार रूपी शत्रु को हराने के उपाय बताये हैं जो इस पुस्तक में संकलित किये गये हैं। आशा है पाठक इसे पढ़कर अवश्य लाभ लेंगे एवं आचार्य श्री द्वारा दिये गये अनमोल उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 17.5सेमी X 12सेमी X 0.7सेमी |
वजन (ग्राम) | 100 |