अनन्त सौन्दर्य माधुर्य सुधा सिन्धु बलबंधु श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं के रहस्य को कौन समझ सकता है? अप्राकृत प्रेम राज्य के परमोन्नत स्तर पर हुई रसमयी लीलायें, प्राकृत बुद्धि से सर्वथा अज्ञेय हैं। जिस प्रकार भगवान् चिन्मय हैं, उसी प्रकार उनकी लीला भी चिन्मय होती हैं। विशेषरूपेण अपनी ही अन्तरंगा अभिन्न स्वरूपा गोपियों के साथ मधुर लीला तो दिव्यातिदिव्य और सर्वगुह्यतम है।
लगभग 5000 वर्ष पूर्व प्रणत चित्तचोर, रसिक सिरमौर ब्रजेन्द्रनन्दन एवं उनकी ही ह्लादिनी शक्ति, नित्य निकुंजेश्वरी, रासेश्वरी श्री राधा रानी ने अधिकारी जीवों को, सर्वोच्च कक्षा का रस वितरित किया था, जिसे महारास कहते हैं। महालक्ष्मी जो भगवान् की अनादिकालीन पत्नी हैं, उनको भी यह रस नहीं मिला। यह रस सर्वथा अनिर्वचनीय है।
एक स्वाभाविक जिज्ञासा होती है ‘इस महारास का अधिकारी कौन है’ प्रस्तुत प्रवचन में इसी विषय पर प्रकाश डाला गया है।
Maharaas Adhikari - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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अनन्त सौन्दर्य माधुर्य सुधा सिन्धु बलबंधु श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं के रहस्य को कौन समझ सकता है? अप्राकृत प्रेम राज्य के परमोन्नत स्तर पर हुई रसमयी लीलायें, प्राकृत बुद्धि से सर्वथा अज्ञेय हैं। जिस प्रकार भगवान् चिन्मय हैं, उसी प्रकार उनकी लीला भी चिन्मय होती हैं। विशेषरूपेण अपनी ही अन्तरंगा अभिन्न स्वरूपा गोपियों के साथ मधुर लीला तो दिव्यातिदिव्य और सर्वगुह्यतम है।
लगभग 5000 वर्ष पूर्व प्रणत चित्तचोर, रसिक सिरमौर ब्रजेन्द्रनन्दन एवं उनकी ही ह्लादिनी शक्ति, नित्य निकुंजेश्वरी, रासेश्वरी श्री राधा रानी ने अधिकारी जीवों को, सर्वोच्च कक्षा का रस वितरित किया था, जिसे महारास कहते हैं। महालक्ष्मी जो भगवान् की अनादिकालीन पत्नी हैं, उनको भी यह रस नहीं मिला। यह रस सर्वथा अनिर्वचनीय है।
एक स्वाभाविक जिज्ञासा होती है ‘इस महारास का अधिकारी कौन है’ प्रस्तुत प्रवचन में इसी विषय पर प्रकाश डाला गया है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | निष्काम प्रेम, छोटी किताब, तत्वज्ञान, निष्कामता, रागानुगा भक्ति, महारास |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रवचन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 51 |
वजन (ग्राम) | 80 |
आकार | 14 सेमी X 22 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9788194238652 |