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पुस्तक के नाम से ही पुस्तक का विषय स्पष्ट हो जाता है। आवृत्तिरसकृदुपदेशात् - इस ब्रह्मसूत्र के द्वारा जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने प्रत्येक साधक के लिये तत्त्वज्ञान की परिपक्वता परमावश्यक बताई है तदर्थ गुरु का उपदेश बार बार सुनो, बार बार पढ़ो। कभी यह न सोचो मैं सब समझता हूँ, मुझे सब पता है। जितनी बार पढ़ोगे उतनी ही परिपक्वता आयेगी और पतन से बचे रहोगे। तत्त्वज्ञान को सदैव साथ रखो। तत्त्वज्ञान विस्मरण न होने पाये।

इस ब्रह्मसूत्र का प्रमाण देते हुए श्री महाराज जी ने बार बार तत्त्वज्ञान श्रवण का उपदेश दिया है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके प्रवचनों के कुछ अंश संकलित किये गये हैं।

Bar Bar Padho suno samjho-Hindi
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बार बार पढ़ो सुनो समझो - हिन्दी

जानिये हरि-गुरु की नित्य भक्ति करने का गुरु मंत्र।
भाषा - हिन्दी

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विवरण

पुस्तक के नाम से ही पुस्तक का विषय स्पष्ट हो जाता है। आवृत्तिरसकृदुपदेशात् - इस ब्रह्मसूत्र के द्वारा जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने प्रत्येक साधक के लिये तत्त्वज्ञान की परिपक्वता परमावश्यक बताई है तदर्थ गुरु का उपदेश बार बार सुनो, बार बार पढ़ो। कभी यह न सोचो मैं सब समझता हूँ, मुझे सब पता है। जितनी बार पढ़ोगे उतनी ही परिपक्वता आयेगी और पतन से बचे रहोगे। तत्त्वज्ञान को सदैव साथ रखो। तत्त्वज्ञान विस्मरण न होने पाये।

इस ब्रह्मसूत्र का प्रमाण देते हुए श्री महाराज जी ने बार बार तत्त्वज्ञान श्रवण का उपदेश दिया है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके प्रवचनों के कुछ अंश संकलित किये गये हैं।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
विषयवस्तु गुरु - सच्चा आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक, तत्वज्ञान, अभ्यास की शक्ति
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण संकलन
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 208
वजन (ग्राम) 321
आकार 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.6 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789380661872

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