वृषभानुनन्दिनी रासेश्वरी श्री राधारानी के प्रेमरस सार स्वरूप विग्रह का सांगोपांग चित्रण अत्यन्त ही आकर्षक एवं अनूठे ढंग से किया गया है। इसमें 13 पद हैं। प्रत्येक पद में मधुरातिमधुर प्रेम रस धारा प्रवाहित हो रही है। श्री राधारानी के रूपध्यान के लिए परम सहायक है अत: भक्ति मार्गीय प्रत्येक साधक के लिए परम उपयोगी है।
Shri Radha Trayodashi - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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वृषभानुनन्दिनी रासेश्वरी श्री राधारानी के प्रेमरस सार स्वरूप विग्रह का सांगोपांग चित्रण अत्यन्त ही आकर्षक एवं अनूठे ढंग से किया गया है। इसमें 13 पद हैं। प्रत्येक पद में मधुरातिमधुर प्रेम रस धारा प्रवाहित हो रही है। श्री राधारानी के रूपध्यान के लिए परम सहायक है अत: भक्ति मार्गीय प्रत्येक साधक के लिए परम उपयोगी है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | संकीर्तन |
विषयवस्तु | सर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान, छोटी किताब |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | प्रमुख रचना |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 32 |
वजन (ग्राम) | 95 |
आकार | 22 सेमी X 14.5 सेमी X 0.3 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661285 |